धूल का फूल: “तू हिंदू बनेगा…” – जो धर्मनिरपेक्षता का नेशनल एंथम बन गया

1959 में जब बी.आर. चोपड़ा ने अपने छोटे भाई यश को डायरेक्शन की गद्दी सौंपी, तब शायद उन्होंने नहीं सोचा होगा कि हिंदी सिनेमा का सबसे संवेदनशील फिल्ममेकर पैदा हो रहा है — और वो भी एक ऐसी कहानी से, जिसमें बच्चा जंगल में साँप के साथ सेफ है, लेकिन समाज के बीच अनसेफ! धर्म, नैतिकता और ‘कुर्सी’ — कोर्ट में सब चुप! महेश कपूर (राजेंद्र कुमार) ने न सिर्फ प्रेमिका मीना को छोड़ा, बल्कि अपने बेटे को भी जंगल में फेंक दिया। लेकिन VIP बनकर लौटे तो “जज साहब”…

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संगम रेट्रो रिव्यू: जब प्यार, दोस्ती और विदेश यात्रा तीन घंटे में फिट हो गए

राज कपूर की ‘संगम’ (1964) एक ऐसी फिल्म है जिसमें दोस्ती इतनी पवित्र थी कि अगर WhatsApp होता, तो शायद रणवीर (राज कपूर) का “Seen” भी एक इमोशनल सीन बन जाता।फिल्म में ट्रायंगल लव स्टोरी है, लेकिन प्लॉट इतना फैला हुआ कि आपको लगता है – “ये फिल्म नहीं, इमोशंस की रेलवे लाइन है, जिसमें हर स्टेशन पर आंसू हैं।” IND vs ENG : केएल राहुल के आउट होते ही लड़खड़ाया इंडिया लव लेटर, जो आज भी इंटरनेट स्पीड से तेज़ पहुंचता है! राजेंद्र कुमार का किरदार जब प्यार छुपाता…

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