राबड़ी के बाद बिहार को नई रानी की दरकार!

बिहार की राजनीति में ‘संघर्ष’ एगो ऐसा शब्द बा, जेकर गूंज हर चुनाव में सुनाई देला। जात, धरम, इलाका, गोत्र—सब मिलाकर सत्ता के संग्राम एतना जटिल बा कि ओह में महिला नेता के जगह ढूंढे में लुका-छिपी होत रहेला। स्टार्टअप: डॉक्टर अब बस की सीट पर! हेल्थकेयर ऑन व्हील्स से बदलें गेम राबड़ी देवी: पर्दा से सत्ता तक के सफर की कहानी 1997 में जब राबड़ी देवी सीएम बनली, त पूरा देश चौंक गइल। एकदम घरेलू महिला से एक राज्य के मुखिया बन जाना, ऊ भी बिहार में—एहसे बड़का झटका…

Read More

लालू एंड संस: राजनीति घर से शुरू होती है, घर पर समाप्त- समझे ?

बिहार की राजनीति जब भी करवट लेती है, लालू प्रसाद यादव का नाम उसमें गूंजता है—कभी जोशीले अंदाज़ में, कभी सवालों के कटघरे में, लेकिन हमेशा असरदार। लालू सिर्फ नेता नहीं, एक परंपरा, एक शैली और एक संस्थान हैं। और उनका परिवार? मानो इस संस्थान की शाखाएं हों, जो सत्ता, संघर्ष और सियासत के पेड़ों पर लहराते हैं। भारत से पिटकर मदद की भीख! शहबाज शरीफ की 4 देशों की दौड़ शुरू गांव से गांधी मैदान तक: लालू यादव की यात्रा फुलवरिया के छोटे से गांव से निकला वह युवक,…

Read More

राबड़ी के बाद के रानी के खोज में बिहार: अबकी बार का नेतृत्त्व महिला के हाथ?

बिहार के सियासत के अगर एक शब्द में बखान होखे, तs उ शब्द ह “संघर्ष”। ई धरती जात-पात, क्षेत्रीय अस्मिता, वंशवाद आ चाणक्यवादी चाल के संग अमीरी-गरीबी, गांव-शहर के टकराव से भरल राजनीति देख चुकल बा। लेकिन ए सब झंझावत के बीच एगो सवाल बार-बार उठेला –“महिलन के जगह कहां बा बिहार के सियासत में?” भारत 7 प्रतिनिधिमंडलों को भेजेगा वैश्विक दौरे पर, लाभ-हानि की गणना राबड़ी देवी: ‘गृहिणी’ से ‘मुख्यमंत्री’ तक के सफर जब 1997 में राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनली, तs पूरा देश अचंभित हो गइल। ना भाषण, ना…

Read More