लखनऊ का वो हिस्सा, जो न टूरिज़्म ब्रोशर में दिखता है और न कभी बजट में आता है। जहां हर गली इतनी तंग है कि आपके ‘बुलेटप्रूफ विकास’ को रिक्शे से उतरकर चलना पड़ेगा। यहां पाइपलाइन नहीं, पाइप फूटी हुई है। सड़कें नहीं, अधूरी घोषणाएं बिछी हैं।एक बार आईए, जो मलिन बस्ती का मापदंड है, वो हर चौराहे पर पका-पकाया मिलेगा। एयर इंडिया विमान हादसा: कट-ऑफ़ की गुत्थी क्या कभी सुलझेगी यहाँ नाली ऊपर, पीने का पानी नीचे बहता है स्वच्छ भारत मिशन की किताबें यहां किसी ‘फैंटेसी नॉवेल’ से कम…
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