क़तर की राजधानी दोहा के पास स्थित अल उदैद एयरबेस, अमेरिका की सेंट्रल कमांड के एयर ऑपरेशंस का मुख्यालय है। यहां लगभग 8,000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं और यह बेस ईरान, इराक, अफगानिस्तान और सीरिया में अभियानों के लिए अहम लॉजिस्टिक केंद्र के रूप में कार्य करता है। व्यास गद्दी पर हमला: आज के हिंदू समाज को आत्ममंथन की ज़रूरत है? इस एयरबेस को रणनीतिक रूप से इतना महत्वपूर्ण माना जाता है कि यहां खाड़ी क्षेत्र की सबसे लंबी रनवे भी मौजूद है। इसे अबू नक़्ला एयरपोर्ट भी कहा जाता…
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ख़ौफ़ से आज़ादी नहीं मिलती: अली ख़ामेनेई का जज़्बाती पैग़ाम
ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने एक भावुक लेकिन रणनीतिक बयान देकर अपनी क़ौम से साहस और एकजुटता बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा, मैं अपनी अज़ीज़ क़ौम से कहना चाहता हूँ कि अगर दुश्मन यह महसूस करे कि आप उससे ख़ौफ़ज़दा हैं, तो वह आपको कभी भी आज़ादी से जीने नहीं देगा। जिस अज़्म और हौसले से आपने अब तक मुक़ाबला किया है, उसे और ताक़त के साथ जारी रखिए। यह वक्तव्य सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक सशक्त संदेश है — कि डर के आगे घुटने…
Read Moreईरान पर हमला- परमाणु तो बहाना है, खामेनेई निशाना है
ईरान और अमेरिका, इसराइल के बीच जो मौजूदा तनातनी चल रही है, वो जितनी ऊपर से परमाणु हथियारों को लेकर दिखती है, असल में उससे कहीं ज़्यादा गहराई में राजनीतिक भूचाल है। ये टकराव किसी बम या युरेनियम को लेकर नहीं, बल्कि ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई की सत्ता को खत्म करने की रणनीति का हिस्सा है। ईरान-इसराइल संघर्ष पर ट्रंप बोले: सीज़फ़ायर नहीं, सच में The End चाहिए सत्ता परिवर्तन: पुराने फॉर्मूले की नई किस्त? अगर पिछले कुछ दशकों की घटनाओं को देखें — इराक में सद्दाम…
Read Moreअपनों ने ही खेला शह-मात! इजरायल को ईरान के घर से मिले जयकारे
ईरान और इजरायल के रिश्ते हमेशा से तल्ख रहे हैं। लेकिन हाल के दिनों में ईरान के अंदर से ही ऐसी आवाज़ें उठने लगी हैं जो इस्लामिक गणराज्य की नीतियों के खिलाफ हैं और इजरायल के लिए समर्थन जता रही हैं। यह बदलाव किसी झटके से कम नहीं है। ईरान बोले- इसराइल हटो बाजू! और ओआईसी ने बजाई ताली शासन से थकी हुई जनता, अब बदलाव के लिए तैयार आर्थिक संकट, नागरिक स्वतंत्रताओं की कमी, महिलाओं पर अत्याचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन ने ईरानी जनता को भीतर तक झकझोर दिया…
Read Moreइजराइल से क्यों चिढ़ते हैं खाड़ी देश? अमेरिका का लाडला कैसे बना ताकतवर खिलाड़ी!
इजराइल— एक ऐसा देश जो दुनिया के नक्शे पर जितना छोटा है, अंतरराष्ट्रीय राजनीति में उसका उतना ही बड़ा प्रभाव है। खासकर खाड़ी देशों के लिए, यह नाम न सिर्फ कूटनीतिक तनाव का प्रतीक है, बल्कि एक ऐतिहासिक संघर्ष की निरंतरता भी है। पर सवाल है — खाड़ी देशों को इजराइल से इतनी चिढ़ क्यों है? और अमेरिका इसके साथ क्यों खड़ा रहता है? वॉशिंगटन में दो इसराइली राजनयिकों की हत्या, भारत ने जताया सख़्त विरोध 1. अरब-इजराइल युद्धों की विरासत: शुरुआत कहां से हुई? 1948 में इजराइल की स्थापना…
Read More“ईरान से पहले रिश्ते, फिर रेस्ट्रीक्शन! ट्रंप बोले – डील भी चाहिए, डंडा भी तैयार है”
सऊदी अरब की रेत से गर्म माहौल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पुराने बयानों पर बर्फ़ डालते हुए एक नया मोड़ ले लिया है। रियाद में इन्वेस्टमेंट फोरम को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा – “मैं ईरान से डील करना चाहता हूं।” अब यह बात सुनकर ईरान भी चाय का पानी चढ़ा ही रहा होगा कि आगे कड़ाही में शांति आएगी या पाबंदियों का पकवान फिर परोसा जाएगा। ‘मेड इन इंडिया’ मंत्री अब कनाडा में! जानिए कौन हैं अनीता आनंद ट्रंप ने ईरान पर रक्तपात की फंडिंग…
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