रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तप किया, अपने सिर तक काट डाले — और शिव खुश भी हुए! लेकिन सिर्फ भक्ति से कुछ नहीं होता, जब मन में घमंड, वासना और सत्ता का नशा हो। शिव सबके! न धर्म, न जात — बस भक्ति का रास्ता शिव ने त्रिपुरासुर को मारा, दक्ष का यज्ञ जलाया, भस्मासुर को खुद नष्ट कराया — पर जब बात रावण की आई, तो उन्होंने intervene करना जरूरी नहीं समझा। क्यों? क्योंकि शिव अंधभक्तों के रक्षक नहीं। शिव न्यायप्रिय हैं, ना कि…
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शिव सबके! न धर्म, न जात — बस भक्ति का रास्ता
भगवान शिव केवल सनातन धर्म के नहीं, बल्कि समस्त मानवता के आराध्य हैं। वे “अज्ञेय” हैं — जिनका कोई एक रूप नहीं, कोई एक मत नहीं। उनका स्वरूप समावेशी है। डमरू बजाते, जटाजूटधारी, तांडव करते शिव — वे किसी विशेष संप्रदाय के प्रतीक नहीं बल्कि ब्रह्मांडीय चेतना के आधार हैं। शिव सबके क्यों हैं? शिव को कोई भी जात-पात पूछे बिना पूज सकता है। वो श्मशान में भी मिलते हैं और मंदिरों में भी। भांग चढ़ाते नागा भी उनके भक्त हैं और दीप जलाती गृहिणी भी। वो अघोरी के गुरु…
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