भारत में जब देश खुद को आज़ाद कह रहा था, तभी एक फिल्म आई जिसने बता दिया कि प्यार कभी ग़ुलाम नहीं होता — वो या तो जीतता है, या फिर इतिहास बन जाता है। हम बात कर रहे हैं K. Asif की कालजयी कृति ‘मुग़ल-ए-आज़म’ की। जब ‘सलीम’ और ‘अनारकली’ ने प्यार को क़ैद से आज़ाद किया दिलीप कुमार और मधुबाला की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री देखने के बाद लोग बिजली के झटकों की जगह ‘प्यारी फुहारें’ महसूस करने लगे थे।अनारकली की आँखों में बगावत, सलीम के लहजे में मोहब्बत —…
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आराधना फिल्म रेट्रो रिव्यू: राजेश का सुपरस्टार बूस्टर और किशोर दा की वापसी
1969 की “आराधना” वो फिल्म है जिसने प्यार, त्याग, साज़िश और “मेरे सपनों की रानी” जैसी चाय की चुस्की वाला रोमांस परोसा। शक्ति सामंत की यह फिल्म बस फिल्म नहीं थी — यह राजेश खन्ना के माथे पर टिका सुपरस्टार का तिलक थी। बिहार बुला रहल बा कि कुर्सी?” तेजस्वी के तंज पर चिराग चुप मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू? इस गाने ने लोगों को इतना दीवाना किया कि कुछ ने रेलवे टिकट सिर्फ इस सीन को रीक्रिएट करने के लिए खरीदा। राजेश खन्ना कार में, शर्मिला टैगोर…
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