वाराणसी। ‘पहिरे ला मुंडन क माला मगर दुल्हा लजाला..’,‘दुल्हा के देहीं से भस्मी छोड़ावा सखी हरदी लगावा ना…’,’शिव दुल्हा के माथे पर सोहे चनरमा…।’ ये उन गीतों की पंक्तियां हैं जो सोमवार की शाम काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर गुंजायमान हो रही थीं। अवसर था भूतभावन भगवान शिव के विवाह से पूर्व हल्दी के लोकाचार का। महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ से जुड़ी लोकपरंपरा का निर्वाह इस वर्ष श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा के नागा साधुओं एवं महात्माओं की ओर से किया गया। श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा की ओर से बाबा के…
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