पत्रकारों को खुश करने के लिए कॉपी-पेस्ट कमेंट्स का नया ट्रेंड

सोशल मीडिया के इस स्वर्ण युग में पत्रकारिता सिर्फ खबरें देने का माध्यम नहीं रही, बल्कि इमोशनल एंगेजमेंट का आर्टफॉर्म बन चुकी है।अब पत्रकार कितना सच बोलते हैं, उससे ज़्यादा ज़रूरी है — उनकी पोस्ट पर कितने लोग “वाह उम्दा विश्लेषण” कॉमेंट कर रहे हैं! हर पोस्ट के नीचे वही कॉपी-पेस्ट श्रद्धांजलि स्टाइल कॉमेंट्स: “आपकी लेखनी को सलाम”, “आपने तो पूरी सरकार हिला दी”, “आपसे बेहतर कोई नहीं!” ऐसा लगने लगा है जैसे पत्रकार अब सिर्फ सरकार से ही नहीं, अपने फॉलोअर्स से भी तारीफ की उम्मीद रखने लगे हैं…

Read More

कभी जंग थी पत्रकारिता, अब जिंगल है – लोकतंत्र का मज़ाक चल रहा है

कभी जो पत्रकारिता जनक्रांति की मशाल थी, वह आज खुद वेंटिलेटर पर पड़ी है। उसकी कलम सूख गई है, आवाज़ कांप रही है, और आत्मा… वह धीरे-धीरे सत्ता के चरणों में दम तोड़ रही है। रिसॉर्ट नहीं था, शोषण का अड्डा था! अब उम्रभर जेल में काटेंगे दरिंदे जिसने तानाशाही से लड़ा, वो अब खुद गुलाम है जिस पत्रकारिता ने आज़ादी के आंदोलन में आग उगली थी, जिसने इमरजेंसी में बिना थके-बिना झुके सवाल किए थे, वही आज “वायरल वीडियो” और “सेलिब्रिटी ट्वीट्स” में उलझ कर रह गई है। सत्ता…

Read More