सिगरेट और हुक्का पीने वालों को अक्सर लगता है कि बस आज के बाद नहीं… लेकिन हर दिन का “आख़िरी कश” अगली लत की शुरुआत बन जाता है। चाहे वो ऑफिस ब्रेक हो, लाउंज पार्टी, या देर रात की छत पर बातचीत—“धुएं में उड़ती ज़िंदगी” एक ग्लैमरस इमेज बन चुकी है, लेकिन हकीकत में ये एक जहरीला जाल है। सीज़फायर पर कन्फ्यूज़न! भारत का जवाब- युद्धविराम की कोई एक्सपायरी डेट नहीं Brain-Hook: क्या आप जानते हैं कि एक घंटे के हुक्का सेशन में जितना धुआं आपके फेफड़े निगलते हैं, वो…
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