“जो शक्ति का सम्मान करे, वही सनातनी कहलाए!”

जब पूरी दुनिया महिलाओं को बराबरी की लड़ाई के लिए झूझते देख रही थी, सनातन धर्म तब से नारी को देवी, जगत जननी और शक्ति मानता आ रहा है। यहाँ नारी कोई अबला नहीं, बल्कि “शक्ति स्वरूपा” है — वही शक्ति जिससे त्रिमूर्ति भी संचालित होते हैं। शक्ति के तीन रूप: देवी, जननी और ज्ञान सनातन में स्त्री को केवल गृहिणी या माता तक सीमित नहीं किया गया। वह सरस्वती बनकर ज्ञान देती है, लक्ष्मी बनकर समृद्धि लाती है और काली/दुर्गा बनकर राक्षसों का नाश करती है। यह दृष्टिकोण दिखाता…

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