“मां तो आखिर मां होती है… लेकिन जब वही मां बंदूक उठा ले, तो या तो क्रांतिकारी कहलाती है या Meena Kumari का स्ट्रॉन्ग वर्ज़न!” उदित राज ने उठाए सवाल: अंतरिक्ष में दलित क्यों नहीं गया? सिनेमाई भूमि पूजन: खेत, गरीबी और पसीने में लिपटी मां 1957 में मेहबूब खान ने जो किया, उसे आज कोई निर्देशक एक फिल्म में नहीं कर पाएगा – उन्होंने “मां” को राष्ट्र बना दिया और राष्ट्र को सीधा emotional guilt-trip पर भेज दिया। नर्गिस उस वक्त मां बनीं जब असल ज़िंदगी में वो सुनील…
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