रोहतक साइबर सेल ASI सुसाइड: IPS Y. Puran Kumar पर गंभीर आरोप

हरियाणा पुलिस (Haryana Police) में एक के बाद एक चौंकाने वाली घटनाओं ने हड़कंप मचा दिया है। रोहतक जिले में SP कार्यालय स्थित साइबर सेल (Cyber Cell) में तैनात असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (ASI) संदीप ने मंगलवार को खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। इस घटना से पुलिस डिपार्टमेंट में सनसनी फैल गई। सूचना मिलते ही डीएसपी गुलाब सिंह और एफएसएल एक्सपर्ट डॉ. सरोज दहिया मौके पर पहुंचे। ASI संदीप का शव एक मकान में मिला, जिसके पास उनका सर्विस रिवाल्वर (Service Revolver) भी पड़ा हुआ था। पुलिस ने मामले की…

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अछूत कन्या (1936) रेट्रो रिव्यू: जब देविका रानी बवाल की रानी

1936 में बनी फ़िल्म ‘अछूत कन्या’ आज भले ही ब्लैक एंड व्हाइट हो, लेकिन उस दौर में इसने जातिवाद की सोच को रंग-बिरंगे बहसों में झोंक दिया था।बॉम्बे टॉकीज़ का यह मास्टरपीस, जिसे फ्रांज़ ओस्टेन ने डायरेक्ट किया और देविका रानी–अशोक कुमार ने अमर बना दिया, सिर्फ़ एक प्रेम कहानी नहीं थी — यह एक सामाजिक घोषणा थी। कहानी: मोहब्बत बनाम मनुवाद प्रताप (अशोक कुमार) एक ब्राह्मण लड़का और कस्तूरी (देविका रानी) एक ‘अछूत’ लड़की — बचपन की दोस्ती कब प्यार में बदल गई, समाज को यह तो मंज़ूर नहीं…

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संविधान बदले से का तीर मार लेब, जब जात-पात में ही उलझल रहब?

अब त सुनते-सुनते कान पक गइल, बाबू! “संविधान बदल देब!” “नई धारा ला देब!” “देश के दिशा पलट देब!” अरे हो!संविधान त हमरे बड़-बुजुर्ग लिख के दे गइलें, ऊ त कहेला—”सब बराबर हईं।” बाकिर हम का करत बानी?जात देख के दोस्ती, बिरादरी देख के वोटिंग, अउर इलाका देख के दुश्मनी! कोरिया हमसे बाद में आज़ाद भइल—आज देखीं उ कहाँ बा! हम? अबहिन भी कंचनपुरिया बनाम बेलभरिया में फँसल बानी। एसे पूछत हई—संविधान बदल के का एटलस रॉकेट उड़ाइब?जब दिमाग अबहिन भी जात-पात के दलदल में फँसल बा, तब त सोच बदलल ज़रूरी…

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सौहार्द में घाटा, नफ़रत में मुनाफ़ा! राजनीति का नया ‘IPO

कभी सोचिए, अगर समाज में सब लोग मिल-जुलकर रहने लगें, जात-पात भूल जाएं, एक-दूसरे की शादी में जाकर दही-बड़ा खाएं — तो बेचारे जातिवादी नेताओं का क्या होगा? जो “आपसी खाई” को पुल नहीं, मुद्दा मानते हैं। दरअसल, उनके लिए सौहार्द वही चीज़ है जो क्रिकेट में बारिश — खेल बिगाड़ देती है! सरकारी नौकरी की खनक: 12वीं पास भूलें नहीं, SSC CHSL है सबसे खास! नफ़रत की दुकान: खुलती सुबह, जलती रात राजनीति में अब किसी नेता का ‘विजन’ नहीं, सिर्फ ‘डिवीजन’ मायने रखता है। इनकी सुबह ‘जाति विशेष…

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