भारत में कुर्सी सिर्फ लकड़ी या स्टील का बना बैठने का साधन नहीं है। यह लक्ष्य भी है, सपना भी। सत्ता भी है, सत्ता का सत्यापन भी। यहाँ कुर्सी पर बैठने से आदमी नेता बनता है, और उठते ही “पूर्व”। कुर्सी यहाँ हसरत भी है और हकीकत भी। इस देश में कुर्सी की पूजा होती है, और चुनावों में तो इसे तख़्त-ओ-ताज मान लिया जाता है। राजनीति में कुर्सी: जितनी ऊँची, उतनी बड़ी लड़ाई यहाँ हर 5 साल में नहीं, हर साँस में चुनाव होता है। पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री…
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