फौलाद की कहानी सीधे-साधे प्रेम से नहीं, बल्कि शाही दरबार की भविष्यवाणी, जातिगत पृष्ठभूमि, और सत्ता की भूख से शुरू होती है। एक महाराजा जब यह सुनता है कि उसकी बेटी किसी “नीच जाति” के युवक से शादी करेगी और उसकी गद्दी खतरे में पड़ जाएगी, तो वह सारे नवजात निम्न जाति के लड़कों को मरवाने का आदेश देता है।“इतिहास गवाह है – जब नेताओं को अपनी कुर्सी डगमगाती दिखे, तो उनका पहला निशाना आम जनता ही होती है – फिर चाहे वो फिल्म हो या संसद।” अमर बना फौलाद…
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मुग़ल-ए-आज़म रेट्रो रिव्यू: बॉलीवुड का शाही इश्क़, जो आज भी राज करता है
भारत में जब देश खुद को आज़ाद कह रहा था, तभी एक फिल्म आई जिसने बता दिया कि प्यार कभी ग़ुलाम नहीं होता — वो या तो जीतता है, या फिर इतिहास बन जाता है। हम बात कर रहे हैं K. Asif की कालजयी कृति ‘मुग़ल-ए-आज़म’ की। जब ‘सलीम’ और ‘अनारकली’ ने प्यार को क़ैद से आज़ाद किया दिलीप कुमार और मधुबाला की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री देखने के बाद लोग बिजली के झटकों की जगह ‘प्यारी फुहारें’ महसूस करने लगे थे।अनारकली की आँखों में बगावत, सलीम के लहजे में मोहब्बत —…
Read More‘एक फूल दो माली’ रिव्यू: बलराज साहनी और संजय खान की क्लासिक
1969 में रिलीज़ हुई ‘एक फूल दो माली’ एक ऐसी भावनात्मक फिल्म है जो अब भी दर्शकों के दिलों में जिंदा है। राज खोसला के निर्देशन में बनी इस फिल्म में प्यार, त्याग, मातृत्व और पितृत्व के भावों को बेहद मार्मिक तरीके से पेश किया गया है। मुख्य कलाकारों की अदाकारी बलराज साहनी ने एक संघर्षशील पिता के रूप में दिल को छू लेने वाला परफॉर्मेंस दिया। संजय खान, एक फौजी प्रेमी के रूप में प्रभावशाली लगे, जो हालात से हार नहीं मानता। साधना ने अपने शांत लेकिन दृढ़ किरदार…
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