“भारत में दो चीजें कभी स्थिर नहीं रहतीं – नेताओं के बयान और पेट्रोल की कीमत!”जहां एक ओर आम जनता सुबह उठकर देखती है कि डॉलर गिरा या चढ़ा, वहीं पेट्रोलियम सेक्टर चुपचाप ‘भावनात्मक ब्लैकमेल’ कर रहा है – कभी क्रूड गिरा, कभी टेंशन बढ़ा। सवाल ये है – क्या ये निवेश का सही समय है या फिर तेल में हाथ डालने का मतलब है सीधे फ्राइपैन में कूद जाना? ऑपरेशन सिंदूर: पहले इंडिया इन नेताओं के घरों पर ड्रोन मारो अभी तेल में चल क्या रहा है? दुनिया भर…
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