भारत में कुछ कहावतें जनमानस की आत्मा में घुल चुकी हैं। जैसे – “सपनों की नौकरी चाहिए? तो UPSC दे।” हर साल लाखों युवाओं की नींद, नाश्ता और Netflix इस एक परीक्षा के नाम हो जाते हैं। लेकिन असली झटका तब लगता है जब इंटरव्यू के बाद लिस्ट में नाम नहीं आता – यानी आख़िरी मंज़िल पर फिसलन! ख़ौफ़ से आज़ादी नहीं मिलती: अली ख़ामेनेई का जज़्बाती पैग़ाम अब UPSC को भी समझ आ गया है कि ये टैलेंट सड़क पर नहीं छोड़ा जा सकता। तो भाई साहब, लीजिए पेश…
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