पहलगाम हमले पर याचिकाकर्ता को सुप्रीम फटकार – सुरक्षा बलों का मनोबल गिराने वाला कदम

अमित तिवारी
अमित तिवारी

सुप्रीम कोर्ट ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सख्त रुख अपनाते हुए याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि इस तरह की याचिकाएं नाजुक समय में सुरक्षा बलों का मनोबल गिरा सकती हैं।

यूपी में 42 जजों का तबादला: प्रयागराज, मथुरा सहित कई जिलों में नए जिला जज नियुक्त

सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत की टिप्पणी:

“क्या आप सुरक्षा बलों का मनोबल गिराना चाहते हैं? यह बेहद संवेदनशील और अहम समय है। देश का हर नागरिक आतंकवाद से लड़ने के लिए तैयार है। गंभीर मसला है, गंभीरता दिखाइए। रिटायर जज क्या इस मामले में जांच कर पाएंगे?”

यह टिप्पणी उस याचिका के संदर्भ में आई जिसमें याचिकाकर्ता ने पहलगाम हमले की न्यायिक जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में आयोग गठित करने की मांग की थी।

क्या थी याचिका में मांग?

  1. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग की मांग।

  2. केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन, CRPF और NIA को टूरिस्ट इलाकों में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु एक्शन प्लान बनाने का निर्देश।

याचिकाकर्ता ने वापस ली याचिका

सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट और तीखी टिप्पणी के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार की मांगें संवेदनशील समय में सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिष्ठा और मनोबल पर प्रतिकूल असर डाल सकती हैं।

यह मामला यह दिखाता है कि सुप्रीम कोर्ट आतंकवाद जैसे मुद्दों पर संवेदनशीलता और जिम्मेदारी से पेश आने की आवश्यकता पर बल देता है। न्यायालय के मुताबिक, इस तरह के समय में जब देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है, तब ऐसी याचिकाएं सुरक्षा बलों के प्रयासों को कमजोर कर सकती हैं।

पहलगाम आतंकी हमला: हुर्रियत और जमात-ए-इस्लामी के ठिकानों पर छापेमारी

Related posts

Leave a Comment