
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा नगरी कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं के मामले पर सुनवाई करते हुए राजस्थान सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने पूछा कि आख़िर इतनी अधिक आत्महत्याएं सिर्फ कोटा में ही क्यों हो रही हैं? क्या राज्य सरकार ने इस पर गंभीरता से कोई विचार किया?
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दो मामलों पर सुनवाई, एक सवाल: बच्चों की ज़िंदगी का क्या?
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने दो याचिकाओं पर सुनवाई की:
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IIT खड़गपुर के 22 वर्षीय छात्र ने हॉस्टल में की आत्महत्या (4 मई)
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NEET की तैयारी कर रही लड़की, जो कोटा में रह रही थी, ने की खुदकुशी
कोर्ट ने 6 मई को खुद ही इन दोनों घटनाओं पर सुओ मोटो संज्ञान लिया था।
FIR में देरी पर पुलिस को झाड़, अवमानना की चेतावनी
IIT स्टूडेंट केस में FIR दर्ज करने में हुई 4 दिन की देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने कोटा पुलिस को फटकारते हुए कहा, “क्या यह मामला इतना हल्का था कि FIR भी वक्त पर दर्ज नहीं की गई?” कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की जा सकती थी।
राजस्थान सरकार की सफाई: SIT बनाई, FIR अब दर्ज होगी
राज्य की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कहा:
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कोटा पुलिस ने पहले ही इनक्वेस्ट रिपोर्ट दर्ज कर ली थी
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अब FIR भी दर्ज की जा रही है
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राज्य सरकार ने पहले ही विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है
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सरकार इस मुद्दे को बेहद संवेदनशीलता और गंभीरता से ले रही है
अगली सुनवाई: 14 जुलाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 14 जुलाई को अगली सुनवाई में सरकार से जवाबदेही मांगी जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए ठोस कदम उठाए गए हों।
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कोटा देश में प्रतियोगी परीक्षाओं की राजधानी माना जाता है, लेकिन छात्रों पर मानसिक दबाव की वजह से बढ़ती आत्महत्याएं अब एक राष्ट्रीय चिंता बन गई हैं। सुप्रीम कोर्ट की यह सख्ती न सिर्फ सरकार को चेतावनी है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत को भी दर्शाती है।