क्या सुप्रीम कोर्ट तय कर सकता है राष्ट्रपति और राज्यपाल की सीमाएं?

हुसैन अफसर
हुसैन अफसर

सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल 2025 को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल को किसी भी विधेयक पर 3 महीने के भीतर फैसला लेना होगा। यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 200 और 111 से जुड़ा हुआ है।

लेकिन अब केंद्र सरकार ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है। केंद्र का कहना है कि कोई भी अंग ‘सुप्रीम’ नहीं है और न्यायपालिका को कार्यपालिका के अधिकारों में दखल नहीं देना चाहिए।

केंद्र सरकार ने क्या कहा?

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में स्पष्ट किया:

  • संविधान ने जानबूझकर राष्ट्रपति और राज्यपाल के फैसलों के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की।

  • राज्यपाल को 4 विकल्प होते हैं: मंजूरी देना, इंकार करना, राष्ट्रपति के पास भेजना या बिल वापस करना।

  • यह अधिकार कार्यपालिका के अंतर्गत आता है और न्यायपालिका इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

  • अनुच्छेद 142 की शक्तियां व्यापक हैं, लेकिन इससे कोर्ट संविधान के प्रावधानों को override नहीं कर सकता।

क्यों आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 2023 में याचिका दाखिल की थी। उसमें कहा गया कि 2020 से 2023 के बीच पास किए गए 12 विधेयकों पर राज्यपाल RN रवि ने कोई फैसला नहीं किया। इस देरी से राज्य सरकार का प्रशासनिक कार्य बाधित हुआ।

इस याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि राष्ट्रपति और राज्यपाल को 3 महीने के भीतर कोई निर्णय लेना होगा।

राष्ट्रपति रेफरेंस: क्या है मामला?

इस फैसले के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक प्रेसिडेंशियल रेफरेंस भेजा और कोर्ट से 14 संवैधानिक सवालों पर राय मांगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर विचार के लिए 5 जजों की संविधान पीठ गठित की है। अगली सुनवाई मंगलवार को होनी है।

संवैधानिक संतुलन पर बहस

यह मामला अब तीनों संवैधानिक अंगों – कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के बीच संतुलन की गंभीर बहस का रूप ले चुका है।

केंद्र का तर्क है कि यदि न्यायपालिका कार्यपालिका के कार्यों की समयसीमा तय करने लगे, तो यह संविधान निर्माताओं की भावना के खिलाफ होगा और इससे संवैधानिक ढांचा कमजोर हो सकता है।

यह बहस सिर्फ तकनीकी नहीं है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र की संवैधानिक सीमाओं और चेक एंड बैलेंस की परिभाषा को फिर से स्पष्ट करने का प्रयास है।

Related posts

Leave a Comment