
भारत में सदियों से इस्तेमाल की जाने वाली ये जड़ी-बूटी आज दुनिया भर में छा गई है। इसका नाम आते ही योगा मैट पर बैठे विदेशी भी “Om Shanti Ashwagandha” कह उठते हैं।
एचआईवी: एक साइलेंट किलर जिसे लक्षणों से पहचानना बेहद जरूरी है
इसका मतलब होता है – “घोड़े जैसी गंध वाली जड़ी”, लेकिन असर ऐसा जैसे घोड़े जैसी ताकत मिल जाए!
1. स्ट्रेस और एंग्जायटी को कहे ‘बाय-बाय’
आज की कॉर्पोरेट जिंदगी में अगर कुछ सबसे ज़्यादा है तो वह है स्ट्रेस – और अश्वगंधा है उसका आयुर्वेदिक एंटीवायरस!
NIH की रिपोर्ट बताती है कि इससे:
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तनाव में कमी
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कोर्टिसोल लेवल डाउन
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नींद बेहतर
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और मन शांत होता है।
2. एथलेटिक प्रदर्शन में सुधार – जिम वालों की नई बेस्ट फ्रेंड!
शोधों के अनुसार, अश्वगंधा:
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स्टैमिना बढ़ाता है
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मसल रिकवरी में मदद करता है
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थकान दूर करता है
कसरत के बाद का दर्द हो या Monday blues – अश्वगंधा में है फ्यूल!
3. दिल बोले – Love You Ashwagandha!
अश्वगंधा ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है।
हार्ट डिजीज से बचाव में भी उपयोगी है।
Cardio के बाद Cardiac हेल्थ का ख्याल अब आयुर्वेद रखेगा!
4. ब्रेन के लिए ब्रह्मास्त्र – अल्जाइमर से लेकर पार्किंसंस तक फायदेमंद
2020 की समीक्षा बताती है कि इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं जो:
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दिमाग की कोशिकाएं सुरक्षित रखते हैं
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याददाश्त को मजबूत करते हैं
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न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों से बचाते हैं
कब न लें अश्वगंधा? इन लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है
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डायरिया या पेट दर्द वालों को
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प्रेग्नेंट और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को
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हाई BP के मरीजों को
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बहुत ज्यादा ऐक्टिव व्यक्ति को (बिना डॉक्टर की सलाह)
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और अधिक मात्रा में लेने वालों को नींद उड़ सकती है!
अश्वगंधा की डोज क्या होनी चाहिए?
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250–600mg/दिन
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पाउडर, कैप्सूल या लिक्विड के रूप में
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डॉक्टर की सलाह से लें तो बेहतर
“हर जड़ी अमृत नहीं होती, मात्रा ही मंत्र है!”
यह लेख केवल सामान्य जानकारी हेतु है। किसी भी औषधीय प्रयोग से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें।
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