पाकिस्तान की सियासत में सुलेमान-कासिम की ‘शहजादगी’ का आगाज़?

सुरेन्द्र दुबे ,राजनैतिक विश्लेषक
सुरेन्द्र दुबे ,राजनैतिक विश्लेषक

पाकिस्तान की राजनीति में “राजवंशीय एंट्री” का चलन नया नहीं। भुट्टो से लेकर शरीफ तक, सबकी संतानें विरासत संभाल रही हैं। अब इस खेल में इमरान खान के ‘ब्रिटिश ब्रैंडेड’ बेटे सुलेमान और कासिम उतरने को तैयार हैं — और लॉन्चिंग की डेट भी फिक्स कर दी गई है: 5 अगस्त, एक मेगा रैली में।

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अब्बा जेल में, बेटे जमे मैदान में: सियासत का नया स्क्रिप्ट

इमरान खान एक साल से ज्यादा से अडियाला जेल में बंद हैं — वजह? एक नहीं, कई मामलों का मिक्स वेज पुलाव: तोशाखाना, साइफर, अल-कादिर ट्रस्ट वगैरह वगैरह।
अब बेटों को सियासी मैदान में उतारने का वक्त आ गया है — और रैली का टाइम भी परफेक्ट है।

“राजनीति नहीं, बदले की भावना”: मम्मी बोलीं, बेटा बोले

  • जेमिमा गोल्डस्मिथ का ट्वीट: “मेरे बच्चों को अब्बा से बात करने की भी इजाज़त नहीं। मिलेंगे तो जेल भेज दिए जाएंगे।”

  • कासिम खान: “अब्बा क्रिकेट नहीं, जेल खेल रहे हैं। वो हमारे साथ नहीं, देश के साथ थे। हमें उन पर गर्व है।”

कह सकते हैं — ये घर-घर की कहानी नहीं, खान-खान की सियासत है।

ब्रिटिश पासपोर्ट से पाकिस्तानी परिधान तक: कठिन रास्ता

अब असली सवाल ये है:
क्या लंदन वाले खानदानी राजकुमार वाकई पाकिस्तान की गंदी गलियों में राजनीति करना चाहेंगे?
दोनों ब्रिटिश नागरिक हैं।
अगर चुनाव लड़ना है, तो ब्रिटिश पासपोर्ट को “अलविदा” कहना पड़ेगा।

कहानी अब ‘चाय-नाश्ते’ से हटकर ‘त्याग और तपस्या’ की ओर बढ़ रही है — पर क्या ये त्याग Netflix और Central Heating से दूर रहकर होगा?

पीटीआई को नया चेहरा या बस सियासी इमोशनल ड्रामा?

विश्लेषकों का कहना है:

“PTI कार्यकर्ता इमरान से भावनात्मक रूप से जुड़े हैं, लेकिन बेटों से नहीं। सुलेमान-कासिम की एंट्री अभी एक प्रतीकात्मक कदम लगती है — असली लड़ाई लंबी है।”

यानी सियासी मैदान में फिलहाल इनकी एंट्री गूगल कैलेंडर में ‘Tentative’ मार्क है।

क्या बोले ‘बुआ’ जी — अलीमा खान का पारिवारिक पीड़ा वाला बयान

इमरान खान की बहन अलीमा खान ने कहा:

“बच्चों को अब्बा से नहीं मिलवाया जा रहा। ये मानवाधिकारों का हनन है।”

साथ ही ऐलान किया कि दोनों अमेरिका जाकर बताने वाले हैं कि पाकिस्तान में कितना ‘लोकतंत्र’ है और कितनी ‘लोक-लीला’।

शादी, तलाक और अब बेटे की सियासत: इमरान-जेमिमा की कहानी पूरी सर्कल में

90s में इमरान और जेमिमा की शादी “क्रिकेटर-राजकुमार और इंग्लिश प्रिंसेस” वाली फेयरीटेल थी।
10 साल में फेयरीटेल राजनीति और संस्कृति के राक्षसों के सामने टूट गई।

अब कहानी में नए किरदार हैं — बेटे।
और कहानी का नाम है:
“अब्बा की विरासत, बेटों की विरासतदारी”

राजनीति के ‘राजकुमार’, लेकिन क्या असली वारिस?

पाकिस्तान की राजनीति में सुलेमान और कासिम की एंट्री एक इमोशनल-मोमेंट-बेस्ड पिच है।
अभी ये सियासत की पिच पर सिर्फ नेट प्रैक्टिस कर रहे हैं।
मैच खेलने के लिए पासपोर्ट त्याग, पसीना बहाना और पब्लिक कनेक्शन चाहिए।

“अब्बा ने स्टेडियम बनवाया, बेटों को टीम में आने के लिए सेलेक्शन बोर्ड का सामना करना होगा।”

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