लखनऊ में “शेयर बाजार” नहीं, चल रहा है नंबरों का “सट्टा बाजार”

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

लखनऊ की गलियों में जब इंडिया, एशिया और अमेरिका के शेयर बाजारों की घड़ियां टिक-टिक करती हैं, तो उनके साथ एक और खेल भी तेज़ी पकड़ता है — अवैध सट्टा कारोबार, और वो भी शेयर मार्केट के आखिरी दो या एक अंक पर।

शेयर बाजार: जुआ, जुगाड़ या एक जॉब? क्या ट्रेडिंग बन सकती है फुल-टाइम करियर?

क्या चल रहा है?

सूत्रों की मानें तो लखनऊ में हर दिन करोड़ों रुपये का सट्टा, स्टॉक मार्केट के क्लोजिंग अंकों के आधार पर खेला जा रहा है।

  • इंडिया मार्केट: शाम 3:30 बजे के आसपास

  • एशिया मार्केट: दोपहर

  • अमेरिका मार्केट: रात 11 बजे के बाद

इन तीनों के क्लोजिंग के आखिरी दो अंक या अंतिम एक अंक पर होता है करोड़ों का खेल।

किशोरों से कराया जा रहा है काला खेल

सट्टा लगवाने वाले खुद सामने नहीं आते। वे स्कूल-कॉलेज के किशोरों को “पर्ची” लाने और ले जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

  • ताकि पुलिस को शक न हो

  • लड़कों को छोटी रकम देकर किया जाता है इस्तेमाल

  • सट्टे की “पर्ची” में नंबर, नाम और दांव की रकम लिखी होती है

पुलिस की नज़र से बचने के लिए पूरा नेटवर्क गुप्त कोड और स्लैंग भाषा में बात करता है।

कैसे होता है सट्टा?

समय बाजार किस पर सट्टा दांव का अनुमान
3:25 PM NSE/BSE (इंडिया) अंतिम दो अंक ₹10 लाख से ₹1 करोड़
6:00 PM निक्केई/हैंगसेंग एक अंक ₹5 लाख तक
11:30 PM Dow Jones/Nasdaq अंतिम अंक ₹15 लाख से ऊपर

पुलिस क्या कर रही है?

  • अब तक कोई बड़ा खुलासा नहीं

  • लेकिन लोकल थानों में इनपुट मिलने लगे हैं

  • किशोरों की संदिग्ध गतिविधियों पर चुपचाप निगरानी

  • कुछ पर्चियों के जरिए नेटवर्क तक पहुंचने की कोशिश जारी

क्यों है खतरनाक?

  • किशोरों का अपराध की ओर झुकाव

  • लाखों रुपये का काला धन

  • कोई टैक्स नहीं, कोई रिकॉर्ड नहीं

  • बर्बादी की ओर ले जाने वाला “खेल”

लखनऊ का ये नया “सट्टा बाजार” स्टॉक मार्केट की चमकती दुनिया की छाया बन गया है। जहां नंबरों के खेल में किशोरों की मासूमियत और परिवारों की पूंजी दोनों दांव पर लगी हैं। अगर समय रहते कानून और समाज नहीं चेते, तो ये सट्टा जल्द ही संघठित अपराध का बड़ा चेहरा बन सकता है।

मिडकैप में मुनाफा या मुसीबत? जानिए 2025 में निवेश का सही समय!

Related posts