बीजेपी के नए बंगाल अध्यक्ष शमीक भट्टाचार्य: सियासत में चौंकाने वाली एंट्री

सुरेन्द्र दुबे ,राजनैतिक विश्लेषक
सुरेन्द्र दुबे ,राजनैतिक विश्लेषक

बीजेपी के समर्पित कार्यकर्ता रहे शमीक भट्टाचार्य का नाम जब आख़िरी पलों में बंगाल बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए सामने आया, तो पार्टी के भीतर और बाहर हलचल मच गई। इससे पहले अध्यक्ष पद को लेकर कई नाम चर्चा में थे, लेकिन शमीक का नाम कहीं नहीं था।

ब्रह्मोस मिसाइल – 30 सेकंड में परमाणु फैसला? भई, चाय तो बनने दो

दिल्ली से बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का फ़ोन उनके लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ, जो तय कर गया कि अब पश्चिम बंगाल में संगठन की बागडोर शमीक के हाथों में होगी।

एक साधारण कार्यकर्ता से शीर्ष पर पहुँचना

शमीक भट्टाचार्य का राजनीतिक सफर आम कार्यकर्ता से शुरू हुआ था।

  • 1974 में उन्होंने आरएसएस से जुड़कर राजनीति में पहला कदम रखा।

  • हावड़ा युवा मोर्चा से लेकर प्रदेश महासचिव और राष्ट्रीय कार्यसमिति तक वह लगातार संगठन से जुड़े रहे।

  • विधानसभा और लोकसभा चुनावों में हार के बावजूद पार्टी ने उनका साथ नहीं छोड़ा और 2024 में उन्हें राज्यसभा भेजा गया।

अध्यक्ष बनने का क्या है असली कारण?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शमीक की शहरी, पढ़े-लिखी, बांग्लाभाषी नेता की छवि ने उन्हें यह कुर्सी दिलाई।
इसके अलावा:

  • कोलकाता बेल्ट में उनकी पहचान मजबूत है

  • शुभेंदु अधिकारी के साथ बेहतर संबंध

  • पार्टी के पुराने और नए नेताओं के बीच संतुलन बनाने की क्षमता

सबसे बड़ी चुनौती: आंतरिक गुटबाज़ी

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष और वर्तमान नेता शुभेंदु अधिकारी के बीच मतभेद जगजाहिर हैं। दिलीप घोष लंबे समय से पार्टी कार्यक्रमों से दूर हैं, और यह माना जा रहा है कि ममता बनर्जी के साथ मंच साझा करना इसकी वजह है।

शमीक की सबसे बड़ी चुनौती होगी:

  • पुराने और नए नेताओं के बीच खींचतान खत्म करना

  • संगठन और विधायक दल के बीच तालमेल बैठाना

  • कोलकाता और बंगाल के शहरी वोट बैंक को फिर से पार्टी के पक्ष में मोड़ना

2026 के विधानसभा चुनाव से पहले रणनीति

2026 विधानसभा चुनाव से पहले शमीक के पास केवल 8-9 महीने हैं।
उन्होंने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट कर दिया कि बीजेपी का मुख्य एजेंडा होगा:

“यह चुनाव बंगाल से निवेश पलायन रोकने, युवाओं के लिए रोजगार सृजन, और हिंदू बंगालियों की सांस्कृतिक पहचान बचाने का आखिरी मौका है।”

किसके चेहरे पर लड़ेगी बीजेपी?

हालांकि शमीक ने साफ़ किया है कि पार्टी “चेहरे की राजनीति” नहीं करेगी, लेकिन जानकार मानते हैं कि उनकी नियुक्ति से साफ हो गया है कि शुभेंदु अधिकारी ही विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा होंगे।

कोलकाता फैक्टर और चुनावी गणित

बीजेपी इस बार कोलकाता से मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश में है।

  • शमीक खुद कोलकाता से हैं

  • पूर्व अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और दिलीप घोष क्रमशः दक्षिण दिनाजपुर और झाड़ग्राम से थे

  • इससे कोलकाता-बंगाल की मध्यवर्गीय राजनीति में बीजेपी को बढ़त मिलने की उम्मीद है

शमीक भट्टाचार्य की नियुक्ति सिर्फ एक संगठनात्मक बदलाव नहीं, बल्कि बीजेपी की बंगाल चुनाव को लेकर बनाई जा रही रणनीति का हिस्सा है।
अब देखना होगा कि क्या वह संगठन की गुटबाज़ी को खत्म करके बीजेपी को फिर से मज़बूती से खड़ा कर पाएंगे या नहीं।

लालच में मुस्लिम बने, लखनऊ में 15 लोगों की अब घर वापसी

Related posts