‘ऑपरेशन सिंदूर’ से हिरासत तक: शर्मिष्ठा की पोस्ट या प्रोपेगैंडा?

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

22 वर्षीय लॉ स्टूडेंट और इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को पश्चिम बंगाल पुलिस ने धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किया। मामला सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट से जुड़ा है, जिसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का ज़िक्र था।

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लेकिन यहीं से कहानी ने सोशल मीडिया पर एक और रुख पकड़ लिया — दावा किया गया कि उन्हें पाकिस्तान विरोधी पोस्ट करने पर गिरफ़्तार किया गया।

कोलकाता पुलिस का जवाब: ‘देशभक्ति पर कोई रोक नहीं’

इस पर कोलकाता पुलिस ने एक्स पर स्पष्टीकरण जारी किया:

“पाकिस्तान विरोधी पोस्ट पर गिरफ्तारी की बात भ्रामक और ग़लत है। देशभक्ति हर नागरिक का हक़ है।”

पुलिस का कहना है कि शर्मिष्ठा की पोस्ट विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाली थी, न कि किसी विदेशी देश के खिलाफ थी।

सोशल मीडिया बनाम सच्चाई: कौन है ज़िम्मेदार?

पुलिस ने साफ कहा कि कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स इस गिरफ्तारी को गलत संदर्भ में पेश कर रहे हैं। लोगों से अपील की गई है कि

“ऐसी कोई भी गतिविधि न करें जिससे हमारे दुश्मनों को फ़ायदा पहुंचे।”

देशभक्ति और ‘लाइक’ के बीच फंसी लॉ स्टूडेंट?

इस पूरे मामले ने एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं — क्या सोशल मीडिया पर देशभक्ति की सीमाएं तय हो चुकी हैं?
क्या इंस्टा-फेम की चाहत अदालत की दहलीज़ तक ले जा सकती है?

शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी केवल एक इन्फ्लुएंसर का मामला नहीं है — ये सोशल मीडिया, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, और कानून के जटिल रिश्तों का एक ताजा उदाहरण है।

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