
मौसम बदला नहीं कि सर्दी-ज़ुकाम दस्तक दे देता है। खासकर बरसात के सीज़न में जब एक दिन बारिश, अगले दिन तेज धूप — शरीर भी कन्फ्यूज़, और इम्यूनिटी भी ढीली!
इसी बेचैनी में लोग झट से मेडिकल स्टोर से दवा ले आते हैं — बिना डॉक्टर की सलाह के। यहीं से शुरू होती है “सेल्फ-मेडिकेशन” की वो कहानी, जिसका अंत बीमार शरीर और बेअसर दवाओं पर होता है।
“हर बार दवा ज़रूरी नहीं होती, और हर दवा हर मर्ज़ पर नहीं चलती। “
1. गलत बीमारी पर गलत दवा
सर्दी-ज़ुकाम कभी वायरल होता है, कभी एलर्जी, और कभी बैक्टीरियल। बिना जांच के दवा लेना मतलब तीर अंधेरे में चलाना।
2. एंटीबायोटिक का गलत इस्तेमाल
लोग ज़ुकाम में भी एंटीबायोटिक ले लेते हैं जबकि वायरस पर ये बेअसर होती हैं। नतीजा — शरीर में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस बन जाता है।
3. डोज़ का खेल
डोज़ सही नहीं होगा तो या असर नहीं दिखेगा या नुकसान कर जाएगा। सटीक मात्रा का ज्ञान सिर्फ डॉक्टर को होता है।
आराम करें और हाइड्रेटेड रहें
पानी, सूप, हर्बल चाय और भरपूर नींद — ये सबसे बड़ी दवा हैं।
भाप लें और गर्म पानी पिएं
नाक बंद, गले में खराश हो तो दिन में 2-3 बार भाप ज़रूर लें।
घरेलू नुस्खे अपनाएं
अदरक-शहद, तुलसी चाय, हल्दी वाला दूध — दादी की बुक से ट्रस्टेड उपाय!

OTC दवा भी सोच-समझकर
Paracetamol जैसी बेसिक दवा ली जा सकती है, लेकिन सिर्फ ज़रूरत होने पर और थोड़े समय के लिए।
डॉक्टर को कब दिखाएं?
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बुखार 101°F से ज़्यादा हो जाए
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4-5 दिन में सुधार न हो
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सांस लेने में परेशानी
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बच्चा या बुजुर्ग बीमार हो
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सीने में दर्द या कान-गले में सूजन हो
Self Doctor बनने की ज़रूरत नहीं!
सर्दी-ज़ुकाम आम है, लेकिन सेल्फ-मेडिकेशन से अनकॉमन समस्याएं हो सकती हैं। दवा लेने से पहले थोड़ी समझदारी दिखाएं — क्योंकि “Google पर दिखे लक्षण, जरूरी नहीं कि आपको भी हों!”
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