
बिहार की राजनीति इन दिनों ना विकास के मुद्दे पर गरम है, ना शिक्षा या स्वास्थ्य पर। बल्कि मटन करी, चिकन फ्राई और फिश तड़का ने सियासी पारा उबाल दिया है।
बीते सावन सोमवार को केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के निवास पर आयोजित एक पार्टी में “श्रद्धा के साथ स्वाद” परोसा गया — वो भी मटन, चिकन और फिश के साथ।
तस्वीरें लीक, विपक्ष हुआ एक्टिव – प्लेट से पाखंड तक की सीधी उड़ान!
जैसे ही दावत की तस्वीरें लीक हुईं, विपक्ष ने प्लेट देख के पोस्ट ठोक दिए।
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए मटन प्रेमियों की लंका लगा दी —
“सावन में शिवभक्ति दिखाते हैं, और पीछे मटन खाते हैं – यही है BJP-जेडीयू का असली चरित्र!”
तेजस्वी ने तीन किलो मटन खाने वाले मंत्रियों की गिनती तक कर डाली और पीएम मोदी पर ‘सेलेक्टिव हिंदुत्व’ का आरोप जड़ दिया।
ललन सिंह बोले: “भोजन बढ़िया है, सावन वाला भी है और बाकी सबका भी”
मंच से खुद केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने मुस्कुराते हुए कहा –
“खाना खाकर ही जाइएगा… मटन भी है, सावन वाला भी है। सबके लिए व्यवस्था है!”
यानी जो भक्त हैं, वो कढ़ी-चावल लें, और जो ‘मटनमय’ हैं, उनके लिए स्पेशल तवा स्टाइल उपलब्ध है।

“अब मैन्यू बनेगा घोषणापत्र का हिस्सा?”
आने वाले चुनाव में क्या पार्टियां अपने मैन्यू भी बताएंगी?
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“हम गोभी वाले हैं”,
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“हम मटन वाले हैं”,
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“हम तटस्थ अंडा-करी पार्टी हैं!”
भक्ति बनाम भुजिया – सियासत की असली थाली कौन सी है?
बिहार में हर सावन में राजनीतिक बयानों की बारिश होती है, लेकिन इस बार बारिश में मटन की महक घुल गई है।
भक्तगण पूछ रहे हैं – “क्या भक्ति थाली में होती है या नीयत में?”
विपक्ष पूछ रहा है – “क्या बीजेपी का सावन सिर्फ पोस्टर वाला है?”
और जनता पूछ रही है – “कढ़ी खाएं या कोल्ड ड्रिंक पीकर मटन डाइजेस्ट करें?”