RSS@100: संघ के 100 साल और हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना का सफ़र

डाक्टर गायत्री प्रसाद उपाध्याय संघ विचारक
डाक्टर गायत्री प्रसाद उपाध्याय
संघ विचारक

आरएसएस, जिसे आमतौर पर संघ के नाम से जाना जाता है, एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है. इसकी स्थापना 1925 में महाराष्ट्र के नागपुर में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी. RSS खुद को एक सांस्कृतिक संगठन बताता है, लेकिन इसे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का वैचारिक अभिभावक भी माना जाता है. संघ से जुड़े लोगों की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन एक अनुमान के अनुसार देश में करीब एक करोड़ स्वयंसेवक हैं.

आरएसएस के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?

RSS का मुख्य उद्देश्य हिंदू संस्कृति, हिंदू एकता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है. संघ राष्ट्र सेवा और भारतीय विरासत के संरक्षण पर जोर देता है. हालांकि, यह खुद को गैर-राजनीतिक बताता है, लेकिन इसके कई सदस्य, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं, चुनावी राजनीति में सक्रिय रहे हैं. संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के अनुसार, RSS का मुख्य काम “व्यक्ति निर्माण” करना है ताकि समाज मजबूत हो सके.

शाखा क्या है और सदस्यता कैसे मिलती है?

शाखा RSS की सबसे बुनियादी संगठनात्मक इकाई है. यह वह जगह है जहाँ स्वयंसेवकों को वैचारिक और शारीरिक रूप से प्रशिक्षित किया जाता है. शाखा में शारीरिक व्यायाम, खेल और मार्चिंग जैसी गतिविधियाँ होती हैं, साथ ही हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्रवाद के सिद्धांतों की शिक्षा दी जाती है. RSS की कोई औपचारिक सदस्यता नहीं है. कोई भी हिंदू पुरुष जो नियमित रूप से शाखा में भाग लेना शुरू करता है, वह स्वयंसेवक बन जाता है. वर्तमान में, भारत में 83,000 से अधिक शाखाएँ हैं.

क्या महिलाएं आरएसएस की सदस्य बन सकती हैं?

नहीं, महिलाएं सीधे तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्य नहीं बन सकतीं. संघ के अनुसार, यह एक हिंदू पुरुषों के लिए बनाया गया संगठन है. हालाँकि, महिलाओं के लिए एक समानांतर संगठन है, जिसे राष्ट्र सेविका समिति कहा जाता है. इसकी स्थापना 1936 में लक्ष्मी बाई केलकर ने डॉ. हेडगेवार से सलाह के बाद की थी. इस संगठन का उद्देश्य भी वही है जो आरएसएस का है.

आरएसएस की फंडिंग कैसे होती है?

आरएसएस एक पंजीकृत (Registered) संगठन नहीं है और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करता, जिसकी वजह से इसकी फंडिंग में पारदर्शिता की कमी को लेकर आलोचना होती है. संघ का दावा है कि वह एक आत्मनिर्भर संगठन है और बाहरी स्रोतों से पैसे नहीं लेता. इसकी फंडिंग का मुख्य स्रोत सालाना होने वाली गुरुदक्षिणा है, जिसमें स्वयंसेवक भगवा ध्वज को गुरु मानकर अपनी इच्छा से दान देते हैं. सामाजिक कार्यों के लिए, संघ से जुड़े ट्रस्ट कानूनी तरीके से धन जुटाते हैं और उनके खाते भी होते हैं.

आरएसएस का संगठनात्मक ढाँचा कैसा है?

संघ में सर्वोच्च पद सरसंघचालक का होता है. वर्तमान में, यह पद मोहन भागवत के पास है. सरसंघचालक के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद सरकार्यवाह का है, जो संघ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी होते हैं. वर्तमान सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले हैं. संघ की संगठनात्मक व्यवस्था को प्रांत, विभाग, जिले और खंड में बांटा गया है. आरएसएस कई सहयोगी संगठनों का समूह है, जिन्हें संघ परिवार कहा जाता है. इनमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय मज़दूर संघ जैसे संगठन शामिल हैं.

आरएसएस के सरसंघचालक कौन-कौन रहे हैं और कैसे चुने जाते हैं?

संघ में अब तक छह सरसंघचालक हुए हैं:

  1. डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (1925-1940)
  2. माधव सदाशिवराव गोलवलकर (1940-1973)
  3. बालासाहब देवरस (1973-1994)
  4. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) (1994-2000)
  5. के एस सुदर्शन (2000-2009)
  6. मोहन भागवत (2009 से अब तक)

सरसंघचालक का चुनाव वोटिंग से नहीं होता. यह पद आजीवन होता है और वर्तमान सरसंघचालक ही अपने उत्तराधिकारी का चयन करते हैं.

आरएसएस पर कब-कब प्रतिबंध लगाया गया?

आरएसएस पर तीन बार प्रतिबंध लगाया गया:

  • 1948: महात्मा गांधी की हत्या के बाद, जब सरकार को संदेह था कि संघ की इसमें भूमिका थी. यह प्रतिबंध 1949 में हटा लिया गया.
  • 1975: आपातकाल (Emergency) के दौरान, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संघ पर प्रतिबंध लगाया, जो 1977 में हटा लिया गया.
  • 1992: बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद, संघ पर फिर से प्रतिबंध लगा, लेकिन जून 1993 में एक आयोग ने इसे अनुचित मानते हुए हटा दिया.

क्या संघ ने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया था?

आरएसएस पर यह आरोप लगता रहा है कि उसने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग नहीं लिया. आलोचकों का कहना है कि संघ की विचारधारा अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष के बजाय हिंदुओं को मुसलमानों और ईसाइयों से “बचाने” पर केंद्रित थी. हालांकि, संघ का दावा है कि उसके हजारों स्वयंसेवकों ने व्यक्तिगत तौर पर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और संघ ने भी उनका समर्थन किया था.

आरएसएस और बीजेपी के बीच क्या रिश्ता है?

आरएसएस को बीजेपी की रीढ़ माना जाता है. बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता, जैसे नरेंद्र मोदी और अमित शाह, संघ के स्वयंसेवक रहे हैं. हालांकि संघ दावा करता है कि वह दलीय राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करता, लेकिन 2015 में मोदी सरकार के मंत्रियों ने संघ की एक बैठक में अपने कामकाज की रिपोर्ट पेश की थी, जिसकी आलोचना हुई थी. संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने यह भी कहा है कि जो भी राजनीतिक दल संघ की नीतियों का समर्थन करता है, उसे उसकी बढ़ती ताकत का फायदा मिलता है.

भारत के झंडे को लेकर आरएसएस का क्या रुख रहा?

आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर ने भारत के तिरंगे की आलोचना की थी और भगवा ध्वज को ही राष्ट्रीय विरासत का प्रतीक बताया था. संघ का कहना है कि वह तिरंगे का सम्मान करता है, लेकिन आज़ादी के बाद कई दशकों तक उसने अपने मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया. संघ ने पहली बार 26 जनवरी 2002 को अपने मुख्यालय पर तिरंगा फहराया. आलोचकों का कहना है कि 2002 से पहले भी निजी नागरिक झंडा फहरा सकते थे, जबकि संघ के समर्थकों का तर्क है कि तब तक यह अनुमति नहीं थी.

धार्मिक अल्पसंख्यकों पर आरएसएस का नज़रिया क्या है?

आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक गोलवलकर ने मुसलमानों और ईसाइयों को “राष्ट्र का आंतरिक शत्रु” बताया था, जो उनकी किताब “बंच ऑफ थॉट्स” में प्रकाशित हुआ था. हालांकि, संघ के वर्तमान सरसंघचालक मोहन भागवत कहते हैं कि समय के साथ संघ के विचार बदले हैं और अब उन्होंने गोलवलकर के विचारों के संकलन के नए संस्करण से ‘आंतरिक शत्रु’ वाले हिस्से को हटा दिया है. भागवत का मानना है कि भारत में रहने वाले सभी लोग हिंदू हैं, भले ही उनका धर्म कोई भी हो, क्योंकि उन सबका डीएनए समान है.

क्या सरकारी कर्मचारी आरएसएस में शामिल हो सकते हैं?

हाँ, अब सरकारी कर्मचारी आरएसएस में शामिल हो सकते हैं. पहले, 1966, 1970 और 1980 में जारी किए गए सरकारी आदेशों के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस से जुड़ने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान था. हालाँकि, जुलाई 2024 में केंद्र सरकार ने इन आदेशों से आरएसएस का नाम हटा दिया, जिससे अब सरकारी कर्मचारियों के लिए संघ से जुड़ने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.

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