RO-ARO 2025 पेपर एनालिसिस: कुछ हिला, कुछ मिला, कुछ तगड़ा निकला

अजमल शाह
अजमल शाह

UPPSC की RO-ARO परीक्षा खत्म होते ही छात्रों की भीड़ बाहर आई — कुछ माथा पकड़ के, कुछ मुस्कुरा के। लेकिन सबकी जुबान पर एक ही बात: “भाई पेपर अलग ही लेवल था!” 

GS का सेगमेंट:

“इतिहास बना गया इतिहास!”
GS सेक्शन में खासतौर पर मॉर्डन हिस्ट्री के सवालों ने जलवा बिखेरा, वो भी ऐसा कि छात्रों को शक हुआ कि कहीं Mains की कॉपी तो नहीं खोल ली। यूपी से जुड़े लोकल करेंट अफेयर्स के सवाल भी जमकर पूछे गए — जैसे परीक्षक ने खुद लखनऊ के गोमती किनारे बैठकर पेपर बनाया हो।

हिंदी सेक्शन:

“पर्यायवाची ने पर्याय ही बदल दिए और व्याकरण !”
हिंदी के 60 सवाल आए — सुनकर ही दिल को तसल्ली मिली, लेकिन जब पेपर देखा तो “पर्यायवाची” ने ऐसा घुमा दिया कि सही विकल्प ढूंढना किसी भूल-भुलैया से कम नहीं था, और व्याकरण ने भी पूरा मजा दिलाया

गणित और रीजनिंग:

“जो बचा वही गणित-रीजनिंग था”
सवाल कम थे, आसान भी कहे जा सकते हैं, लेकिन इतनी कम मात्रा में आए कि मानो परीक्षक ने सोचा हो, “भाई इनसे दिमाग मत लगवाओ, वैसे ही टफ GS और हिंदी हैं!”

छात्रों की प्रतिक्रियाएं:

  • “GS में दिमाग हिल गया भाई!”

  • “हिंदी के पर्यायवाची ने दिमागी सर्किट उड़ा दिए!”

  • “पिछली बार का पेपर ज्यादा टफ था, लेकिन इस बार कन्फ्यूजन ज्यादा थी!”

जिलों से रिपोर्ट:

लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज समेत कई जिलों के छात्रों से बातचीत में सामने आया कि GS और हिंदी सेक्शन में ही टाइम चला गया — कुछ ने टाइम मैनेजमेंट को जिम्मेदार ठहराया, कुछ ने खुद को।

RO-ARO 2025 का पेपर इस बार मिला-जुला रहा। जहां GS ने झटका दिया, वहीं हिंदी ने हिलाया। मैथ्स और रीजनिंग ने थोड़ी राहत दी — पर कुल मिलाकर परीक्षार्थियों को तगड़ी टक्कर मिली।

रिपोर्ट- अजमल-साक्षी-महेंद्र  

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