RCB की जीत का जश्न बना मातम: 25 लाख की सहायता

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

2025 में आखिरकार रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने वो कर दिखाया जो फैंस memes में भी उम्मीद नहीं करते थे — IPL ट्रॉफी जीत ली! लेकिन ट्रॉफी उठते ही शहर में जो हुआ, वो किसी हार से कम नहीं था।

जश्न से मातम तक: 4 जून की वो रात

4 जून को बेंगलुरु में हुआ RCB का विजय जुलूस कुछ ऐसा था जैसे पूरी शहर ने लाल रंग पहन लिया हो। चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर जमा एक लाख से ज़्यादा लोग बस एक झलक पाने को बेताब थे। पर ये उत्साह जल्द ही अफरातफरी में बदल गया — भगदड़ मच गई, और 11 लोगों की ज़िंदगी वहीं थम गई।

RCB की ओर से संवेदना और सहायता: ‘RCB Cares’

टीम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बयान जारी कर कहा:

“हमने RCB परिवार के 11 सदस्यों को खो दिया। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता, लेकिन हम उनके परिवार के साथ खड़े हैं।”

RCB ने 25-25 लाख रुपये की सहायता राशि दी और इसी के साथ #RCBCares नाम से एक नई पहल की शुरुआत की।

क्रिकेट का जश्न, लेकिन कीमत बहुत बड़ी!

18 साल से ट्रॉफी का इंतज़ार कर रहे फैंस ने तो सोचा था अब सड़कों पर ‘सिर्फ़ डांस’ होगा। लेकिन ये डांस कुछ घंटों में डर में बदल गया।

RCBCares या PR-Cares?

RCB की इस पहल की तारीफ़ भी हो रही है, और सवाल भी। क्या ये सिर्फ़ सहानुभूति है या image मेकओवर का हिस्सा?
आख़िरकार 18 साल की ट्रॉफी का स्वाद फीका पड़ गया, क्योंकि “Bangalore cried louder than it cheered!” 

RCB को ट्रॉफी मिलने से पहले लोग कहते थे — Ee Sala Cup Namde
अब सरकार से लोग कह रहे हैं — Ee Sala Crowd Control Namde, Please!

जहाँ एक ओर ट्रॉफी की जीत एक सपने जैसी थी, वहीं उन 11 परिवारों के लिए ये सपना दुःस्वप्न बन गया। RCB ने जो किया वो एक जरूरी कदम है — पर ये भी याद दिलाता है कि जश्न की भी सीमा होनी चाहिए।

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