हेलमेट नहीं दिया तो थप्पड़ पड़ गया! बेंगलुरु में रैपिडो ड्रामा वायरल

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

बेंगलुरु के जयनगर से एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक रैपिडो ड्राइवर एक महिला यात्री को सरेआम थप्पड़ मार देता है।
और हां, थप्पड़ कोई ‘छोटा मोटा’ नहीं था—“एकदम फिल्मी स्टाइल में, वो भी बिना क्लाइमेक्स के!”

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“इंग्लिश बनाम कन्नड़” – भाषाई जंग या थप्पड़ का बहाना?

महिला अंग्रेजी में बोल रही थी और ड्राइवर सिर्फ कन्नड़ जानता था। नतीजा? Google Translate नहीं था, तो बहस हाथापाई में बदल गई।
महिला ने किराया देने और हेलमेट लौटाने से इनकार किया, ड्राइवर ने भी ‘कस्टमर सर्विस’ छोड़कर ‘कुंग फू’ शुरू कर दिया।

पब्लिक बनी मूर्ति, थप्पड़ LIVE देखा लेकिन कोई कुछ बोला नहीं

सब देख रहे थे, कुछ रिकॉर्ड भी कर रहे थे, लेकिन किसी ने ‘सावधान इंडिया’ की तरह बीच-बचाव करने की ज़हमत नहीं उठाई। अब लोग कह रहे हैं – “बेंगलुरु में अगर हेलमेट नहीं दो, तो थप्पड़ फ्री में मिलेगा।

पुलिस आई, लेकिन महिला ने FIR से किया इंकार

पुलिस ने महिला से FIR दर्ज करने को कहा, लेकिन वह ‘मामला रफा-दफा’ करने के मूड में थी। तो एक non-cognizable रिपोर्ट फाइल कर दी गई है (मतलब – “हमने लिख लिया है, पर अभी कुछ कर नहीं सकते”)।

बाइक टैक्सी पर कोर्ट की रोक: फिर भी रैपिडो रेस में आगे

यह थप्पड़ सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि कानून की अवहेलना का भी तमाचा था। कर्नाटक हाई कोर्ट ने साफ कहा था कि बाइक टैक्सियां अवैध हैं, लेकिन सड़कों पर अभी भी 16.5 लाख सवारी रोज़ाना रैपिडो से उड़ती हैं

परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने भी कहा,”कोर्ट ने 12 हफ्ते का समय दिया था, अब तो टाइम भी ओवर हो गया है, लेकिन रैपिडो वालों का GPS वहीं अटका है।”

गिग इकॉनमी का गला घोंटा जा रहा है या हेलमेट नहीं लौटाया गया?

बेंगलुरु में करीब 1.5 लाख गिग वर्कर बाइक टैक्सी से जुड़े हैं। अब सवाल ये है:
“क्या हम बेरोजगारी के डर से थप्पड़ को भी नजरअंदाज करेंगे?” या “कानून को ताक पर रखकर सवारी जारी रखेंगे?”

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