
हर साल रक्षाबंधन पर हम बहनें भाइयों को राखी बाँधती हैं और वो हमें “ताउम्र रक्षा करने” का वचन देते हैं। लेकिन ज़रा रुकिए…
रक्षा का मतलब सिर्फ बहन या गर्लफ्रेंड तक सीमित क्यों हो?
इस बार राखी पर भाई से “मॉडर्न वचन” लो — ऐसा जो सिर्फ दिल से नहीं, दिमाग से भी बंधे।
Scene Normal Hai
Real talk — अपनी बहन को “छोटे कपड़े मत पहन” बोलने वाला भाई, गर्लफ्रेंड के फ्रेंड्स को judge करता है, लेकिन Netflix पे ‘bold content’ देखना constitutional right मानता है। इस डबल स्टैंडर्ड पर राखी का धागा tight बाँधो, ताकि सोच ढीली न रह जाए।
एक वचन ऐसा भी हो — “हर लड़की को रेस्पेक्ट दूँगा”
इस रक्षाबंधन भाई से कहो,“सिर्फ तेरी बंदी या बहन ही नहीं, सड़क पर चलती, ऑफिस में काम करती, ऑनलाइन गेम खेलती हर लड़की को तू इंसान माने।”
Respect देना कोई option नहीं, मानवता का minimum package है।
राखी बाँधते हुए बहन: “भाई, मुझे तेरी रक्षा नहीं चाहिए, बस तेरी सोच का firewall अपडेट कर।”
भाई: “मतलब?”
बहन: “मतलब Tinder पे जितनी लाइनें मारता है, उतनी dignity भी दे बाकी लड़कियों को।”
भाई: system error detected
राखी बाँधो, मगर सोच पर भी गांठ लगाओ
रक्षा सिर्फ बहन की नहीं, स्त्री की होनी चाहिए — हर जगह, हर रूप में। तो इस बार भाई से लो ऐसा वचन जो राखी के धागे से नहीं, इंसानियत के धागे से जुड़ा हो।
“Be a भाई not just by DNA, but by dignity!”
अगर भाई ready हो जाए ये वचन देने को, तो मिठाई extra खिलाओ — क्योंकि इस बार उसने सिर्फ राखी नहीं, नारी का सम्मान भी accept किया है।
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