
लोकसभा का सदन गरमाया, माहौल और भी गरम हुआ जब राहुल गांधी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, “हमें ऐसा प्रधानमंत्री नहीं चाहिए जो डर के मारे सेना को भेजे और कहे ‘जाओ खत्म करो काम को’!”
“ट्रंप झूठ बोलता है, और हमारे पीएम चुप हैं!”
राहुल गांधी ने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर सीधा हमला किया और सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने कभी भी ट्रंप के “29 बार सीजफायर” वाले बयान को झूठा क्यों नहीं कहा? उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री को खुलेआम कहना चाहिए – ट्रंप झूठ बोल रहा है।” लेकिन अफसोस! मोदी जी तो “नो कमेंट्स” मोड में हैं।
पाकिस्तान-चीन का डबल गेम, सरकार का सिंगल प्लान?
राहुल गांधी ने बताया कि भारत को लगा वो सिर्फ पाकिस्तान से निपट रहा है लेकिन हकीकत में ये पूरा प्लॉट चीन का था। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की फौज बदली हुई थी, पूरी जानकारी थी – और ये सब चीन का रिमोट कंट्रोल्ड हमला था।”
“जिसने हम पर हमला करवाया, उसी के साथ लंच?”
राहुल गांधी ने सदन में यह भी उठाया कि आसिफ मुनीर का ट्रंप द्वारा प्रोटोकॉल तोड़कर स्वागत हुआ – और भारत सरकार ने इसका विरोध तक नहीं किया। “हमारे जवान मर रहे हैं और आप आतंक फैलाने वालों के साथ बिरयानी खा रहे हैं?” – एकदम फ़िल्मी डायलॉग लगा।
“बचकाना बयानबाज़ी या सीरियस पॉलिसी?”
राहुल गांधी ने सरकार से पूछा – “अगर आतंकवादी हमला युद्ध है, तो क्या अगला कदम पाकिस्तान के साथ युद्ध होगा?” उन्होंने सरकार के इस बयान को “बचकाना” करार दिया।
सच बोलने की हिम्मत चाहिए या सिर्फ वर्दीवालों से उम्मीद?
राहुल गांधी का आरोप है कि सेना तो डटकर खड़ी है लेकिन सरकार में इच्छाशक्ति की भारी कमी है। उन्होंने कहा, “हमारी विदेश नीति सिर्फ पाकिस्तान तक सीमित रह गई है, और अब चीन गेटक्रैश कर गया है!”
कौन डरेगा, कौन लड़ेगा?
इस भाषण के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है – क्या राहुल गांधी सही हैं? क्या मोदी सरकार विदेश नीति में फेल हुई है? और सबसे बड़ा सवाल – क्या कोई भारतीय नेता कभी ट्रंप को झूठा कह पाएगा?
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