
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में शिक्षा का मंदिर मजहब की चौकसी में बदल गया, जब एक नर्सरी की बच्ची को ‘राधे-राधे’ बोलना इतना महंगा पड़ा कि प्रिंसिपल ने उसके मुंह पर टेप चिपका दिया। वजह? “कक्षा में धार्मिक बातें नहीं करनी चाहिए।”
बच्ची ने संस्कार दिखाए, स्कूल ने सज़ा दी।
3.5 साल की मासूम, टेप की त्रासदी
बागडुमर इलाके के मदर टेरेसा इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने वाली बच्ची जब घर लौटी, तो वह डरी हुई थी और उसके चेहरे पर शब्दों की जगह सन्नाटा था। पूछने पर उसने बताया कि उसने “राधे-राधे” कहा और बदले में प्रिंसिपल ईला ईवन कौलविन ने उसकी कलाई पर मारा और मुंह पर टेप चिपका दिया।
पिता बोले: “बच्ची बोल भी नहीं पा रही थी, लेकिन चोट बोल रही थी।”
गिरफ्तार, FIR दर्ज
नंदनी नगर थाने में शिकायत के बाद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ बाल शोषण व धार्मिक भेदभाव की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
अब प्रिंसिपल को सिखाया जा रहा है—“शिक्षा में सहिष्णुता भी होती है, सिर्फ अनुशासन नहीं।”
राजनीतिक रिएक्शन – सरकार भी बोली ‘काफी हो गया’
राज्य के डिप्टी सीएम अरुण साव ने घटना को “अत्यंत शर्मनाक” बताया और कहा, “भारत में हर नागरिक को अपने धर्म के अनुसार बोलने और जीने का अधिकार है। बच्चों पर ऐसी मानसिक हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
कानूनी कार्रवाई का भरोसा दिया गया है और जिला प्रशासन ने स्कूल की गतिविधियों पर निगरानी तेज़ कर दी है।
जब शिक्षा भी डरने लगे
आज के भारत में, जहां ‘ज्ञान की देवी’ सरस्वती को पूजा जाता है, वहां एक मासूम को अपनी मातृभाषा के धार्मिक शब्द बोलने पर टेप किया जाना बताता है कि शिक्षा व्यवस्था में कहीं कुछ बेहद असंतुलित हो चला है।
क्या अब स्कूलों में भाषण से पहले क्लियरेंस लेना पड़ेगा?
“बोलने से पहले बताइए, ये Line किस धर्म से जुड़ी है?”
इस घटना ने एक बार फिर देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है—क्या बच्चों को भी अब धार्मिक फिल्टर लगाकर बोलना सिखाया जाएगा?
और क्या टेप चिपकाना किसी शिक्षिका की गरिमा को शोभा देता है?
बच्चे संस्कार लेकर आते हैं, स्कूल उन्हें शिक्षा देना भूल गए हैं।
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