“पेपर लीक और लाठीचार्ज, यही है युवाओं का न्यू इंडिया?”

शकील सैफी
शकील सैफी

दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को SSC परीक्षाओं में धांधली और पेपर लीक के विरोध में सैकड़ों छात्रों और कोचिंग संस्थानों के शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। लेकिन स्थिति तब तनावपूर्ण हो गई जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग किया।

प्रियंका गांधी का तीखा हमला

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस पूरे घटनाक्रम की निंदा करते हुए X (पूर्व Twitter) पर लिखा:

“दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रदर्शन कर रहे SSC छात्रों पर पुलिस बल का प्रयोग अमानवीय और शर्मनाक है।”

उन्होंने BJP पर सीधा हमला बोलते हुए कहा:

“हर परीक्षा में धांधली, हर भर्ती में घोटाला और पेपर लीक से पूरे देश के युवा त्रस्त हैं। भाजपा राज में भर्ती प्रक्रियाओं और परीक्षाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रहा है।”

पेपर लीक की पुरानी कहानी फिर दोहराई गई?

छात्रों का आरोप है कि SSC CGL, CHSL और GD जैसी बड़ी परीक्षाओं में लगातार पेपर लीक, अनियमित मूल्यांकन, और भ्रष्टाचार सामने आ रहे हैं।
इस बार भी, 2025 की SSC परीक्षाओं में लीक और सेटिंग के गंभीर आरोप लगे हैं।

पुलिस की प्रतिक्रिया और हालात

प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने बैरिकेड्स हटाने की कोशिश कर रहे छात्रों को बल प्रयोग से रोका। कुछ छात्रों को हिरासत में भी लिया गया।

वीडियोज़ में देखा गया कि:

  • छात्रों को ज़मीन पर गिराया गया

  • लाठीचार्ज हुआ

  • कई छात्र घायल भी हुए

 छात्र बोले – “हम नौकरी नहीं, न्याय मांग रहे हैं”

प्रदर्शन कर रहे एक छात्र ने कहा:

“हमने सालों मेहनत की, कोचिंग की फीस भरी, पर हर बार पेपर लीक हो जाता है। अब जब हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, तो सरकार हमें अपराधी मान रही है।”

क्या कहती है सरकार?

अब तक SSC या केंद्र सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई औपचारिक प्रेस बयान नहीं आया है। इससे छात्रों में और रोष बढ़ गया है।

राजनीति गरमाई, विपक्षी दल हमलावर

इस मुद्दे पर अब राजनीति तेज़ होती दिख रही है। प्रियंका गांधी के अलावा कांग्रेस, आप, और सपा के नेताओं ने भी केंद्र पर हमला बोला है।

कुछ प्रमुख बयान:

  • “जो युवा देश का भविष्य हैं, उन पर लाठियां? शर्म करो!” — राहुल गांधी

  • “सरकारी नौकरी बस एक सपना बनकर रह गई है।” — संजय सिंह (AAP)

SSC परीक्षाओं में अनियमितता अब राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बन चुका है। प्रियंका गांधी ने इसे राजनीतिक ही नहीं, नैतिक संकट का नाम दिया है। युवा वर्ग का गुस्सा और निराशा साफ झलक रही है — सवाल है, सरकार कब सुनेगी?

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