
बिहार सरकार ने जेलों में बंदियों के कौशल विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत पटना के बेऊर, मुजफ्फरपुर के शहीद खुदीराम बोस और बक्सर केंद्रीय कारा में 116 बंदियों को कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य बंदियों को डिजिटल साक्षर बनाना और उनके पुनर्वास में सहायता करना है।
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2.25 करोड़ रुपये का निवेश
इस कार्यक्रम के लिए राज्य सरकार ने 2.25 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। इसके तहत 41 जेलों में आधुनिक कंप्यूटर लैब स्थापित की जा रही हैं। प्रत्येक लैब में 10 कंप्यूटर सेट, UPS यूनिट और कंप्यूटर टेबल शामिल होंगे, जिससे बंदियों को बेहतर प्रशिक्षण मिल सके।
नाइलेट के माध्यम से प्रशिक्षण
राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (नाइलेट) के सहयोग से यह प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। नाइलेट के प्रशिक्षक बंदियों को MS Word, Excel, PowerPoint जैसे सॉफ़्टवेयर के उपयोग की जानकारी देंगे, जिससे वे डिजिटल दुनिया में दक्ष बन सकें।
कौशल विकास और पुनर्वास
इस पहल का मुख्य उद्देश्य बंदियों को रोजगारपरक कौशल प्रदान करना है, ताकि वे जेल से रिहा होने के बाद समाज में सम्मानजनक जीवन जी सकें। गृह विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यह कार्यक्रम अपराध की पुनरावृत्ति को कम करने में भी सहायक होगा।
राज्यभर में विस्तार की योजना
इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद, राज्य सरकार ने इसे राज्य की सभी 41 जेलों में लागू करने की योजना बनाई है। इस पहल से लगभग 1,100 बंदियों को विभिन्न व्यावसायिक विधाओं में प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे उनकी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आएगा।
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