लिव-इन को गंदगी बताकर प्रेमानंद महाराज ने अभियान छेड़ दिया

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

संत प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें वो एक भक्त के सवाल पर संविधान नहीं, संस्कृति का चौपाया संस्करण पेश करते दिख रहे हैं।
महाराज ने सीधे कहा:

“लिव-इन रिलेशन गंदगी का खजाना है। हमारे यहां पवित्रता के लिए जान दी गई थी, अब बच्चे लव-इन में जी रहे हैं।”

किसी के लिए ये चेतावनी है, तो किसी के लिए यह WiFi कटने जैसा झटका!

“शादी तो हमारे यहां पूजन है, न की रोमांटिक यूज़र ट्रायल”

महाराज आगे बोले कि भारत में शादी केवल फेरे नहीं, फेरे के साथ स्वैग वाले संस्कार हैं। उन्होंने पुराने ज़माने का हवाला देते हुए कहा:

“ब्याह के बाद देवी-देवता के दर्शन, बुजुर्गों के आशीर्वाद और फिर घर प्रवेश होता था। आज तो ‘हाय बॉय’ से शुरू होकर ‘बॉय बॉय’ में ब्रेकअप होता है।”

पहले लोग कुवांरी मरते थे, अब तो लोग हर महीने नया ‘relationship status’ मारते हैं।

“आज के बच्चे पवित्र नहीं” — बोले, “लड़कपन में गलती हो सकती है, शादी के बाद सुधारो”

प्रेमानंद महाराज का मानना है कि पवित्रता अब शायद “एंटीवायरस” में ही मिलती है, लोगों के व्यवहार में नहीं। उन्होंने कहा:

“आजकल लड़कियां पहले एक रिलेशन, फिर ब्रेकअप, फिर दूसरा रिलेशन… आख़िर ये ‘शुद्ध विचार’ कैसे बचें?”

Instagram पर स्टोरी बदलती है जैसे लोगों के रिश्ते — एक swipe left और नया chapter शुरू।

“4 होटल का खाना खाकर घर का भोजन अच्छा नहीं लगता” — बोले, “पति-पत्नी से मन नहीं भरता अब”

अपने तर्क को मजबूती देते हुए उन्होंने एक गैस्ट्रोनॉमिक सिमिली का सहारा लिया:

“जिसे 4 होटल का खाना खाने की आदत हो, वो घर के खाने में आनंद कैसे पाएगा?
उसी तरह जो लड़की या लड़का 4 रिलेशन में रह चुका हो, वो एक रिश्ते में कैसे टिक पाएगा?”

संस्कारी comparison: बिरयानी छोड़ दो, दो महीने से खिचड़ी भी नहीं पसंद आ रही Gen-Z को!

“पाणिग्रहण क्या है?” — जब संस्कार, शुद्धता और स्टेटस अपडेट भिड़ते हैं

महाराज बोले कि पाणिग्रहण सिर्फ़ संस्कार नहीं, “Contract for Lifetime Soul Connectivity” है। पर आज की पीढ़ी इसे डेटिंग ऐप की “Accept” बटन जैसा लेती है।

पहले लोग शादी के बाद फोटो खिंचवाते थे, अब लोग रिलेशनशिप के 3 दिन में Couple Reels बना देते हैं!

“लिव-इन के लड्डू में महाराज ने संस्कार का सेंधा नमक डाल दिया”

इस बयान के बाद सोशल मीडिया दो हिस्सों में बंट चुका है:

  1. एक पक्ष कह रहा — “बिलकुल सही बोले महाराज!”

  2. दूसरा — “ओल्ड स्कूल सोच है, मॉडर्न लाइफस्टाइल को जज न करें”

पर इतना ज़रूर है — प्रेमानंद महाराज ने “लिव-इन” की डिब्बी में संस्कृति की कपूर की डिब्बी मिला दी है। अब देखें कौन इत्र समझ सूंघता है और कौन धूप समझ जल जाता है!

निब्बे-निब्बियों की टूटती मोहब्बत और सोशल मीडिया का सैयारा साया

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