
पटना की गर्म दोपहर और उससे भी ज्यादा गर्म प्रेस कॉन्फ्रेंस! जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने सीधे तौर पर बीजेपी पर सीरियस चार्ज लगाए — और वो भी पूरे आत्मविश्वास के साथ, जैसे कोई नया स्क्रिप्ट लिख रहे हों।
कहानी कुछ यूँ है: PK का दावा है कि जन सुराज के तीन उम्मीदवारों को या तो डराया गया, या ‘हाईजैक’ कर लिया गया। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह का नाम भी घसीटा, और कहा कि एक प्रत्याशी को दिनभर शाह जी ने “बैठा” कर रखा ताकि वो नामांकन न कर पाए।
जेल से डर और दिल्ली से दबाव?
दानापुर के प्रत्याशी अखिलेश का जिक्र करते हुए PK बोले — “उन्हें जेल में बैठे एक बाहुबली से धमकी मिली।” और बाकी दो उम्मीदवारों का तो हाल ही ऐसा हुआ जैसे की किसी क्राइम थ्रिलर में हो: डराओ, फुसलाओ, और नामांकन रद्द कराओ।
अब सवाल ये उठता है — क्या बिहार की राजनीति में डर ही नई रणनीति बन गई है?
BJP इतनी जल्दी डर गई?
PK का सीधा-सीधा तंज था: “चुनाव की प्रक्रिया शुरू होते ही बीजेपी डर गई है।” चुनाव अभी दूर हैं, लेकिन अगर यह ट्रेलर है, तो पूरी मूवी में क्या होगा?

राजनीति अब विचारधारा नहीं, ‘मैन मैनेजमेंट’ और ‘कैंडिडेट कलेक्शन’ का खेल बनती दिख रही है।
नामांकन या ‘नाटक’?
जो नामांकन एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया होनी चाहिए, वो अब राजनीतिक ड्रामे में बदल गई है। PK के आरोपों से अगर आधा भी सच है, तो लोकतंत्र को थोड़ा BP लो लग गया है।
लोकतंत्र की सेहत ठीक नहीं लग रही!
चुनाव आने वाले हैं और PK vs BJP का यह पहला एपिसोड ही इतना मसालेदार है, तो आगे का सस्पेंस तो और भी जबरदस्त होगा। सवाल अब सिर्फ उम्मीदवारों का नहीं, लोकतंत्र की दिशा का है।
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