
प्रशांत किशोर यानी PK, कभी मोदी के लिए कैंपेन मास्टर, कभी कांग्रेस के लिए नीति-निर्माता, और कभी नितीश के पार्टी ऑफिस में पदाधिकारी।
अब PK ने चप्पलें पहन ली हैं — लेकिन इस बार चुनावी कैंपेन मैनेज नहीं कर रहे, खुद मंच संभालने की तैयारी में हैं। और जिनके लिए कभी नारा गढ़े थे, अब उन्हीं पर वार कर रहे हैं — बिना माइक छोड़े, बिना मुस्कराहट छोड़े।
डेटा तो है ही साथ — काम सबके लिए किया, अब Weapon बना लिया
जब PK ने कहा कि “मेरे पास डेटा है”, तो इसका मतलब सिर्फ वोटर प्रोफाइलिंग नहीं था।
इसका मतलब था:
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NDA की नसें कहाँ हैं, उन्हें मालूम है।
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कांग्रेस का खोखलापन कहाँ है, वे जानते हैं।
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और JDU के साइलेंट बटन किस दिन दबते हैं, इसकी Excel शीट भी उनके पास होगी।
साफ है — इस बार PK ने सिर्फ नक्शा नहीं पढ़ा है, वो पूरा ‘Google Map’ बन चुके हैं।
बिहारी पत्रकारों की रिपोर्ट: सवर्ण युवाओं का नया पोस्टर बॉय?
ग्राउंड से रिपोर्ट्स आ रही हैं कि:
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भूमिहार और सवर्ण युवा, जो न तो मोदी के भाषण में जोश पा रहे हैं,
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न नितीश की “Double Engine” में भरोसा कर पा रहे हैं,
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और कांग्रेस की ओर देखना अब भी गुनाह ही समझते हैं…
…वो PK की जन सुराज यात्रा को एक नई उम्मीद की तरह देख रहे हैं।
युवाओं का मानना है — “अब जब नेता बनने आए हैं, तो कम से कम काम तो जानते हैं!”
PK की स्टाइल: टोपी नहीं, Transparency!
दिल्ली के CM की तर्ज़ पर PK:
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“ईमानदार” नहीं कहते, लेकिन “जनता को जोड़ने” की बात करते हैं।
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मीडिया से भागते नहीं, लेकिन वायरल भी नहीं होना चाहते।
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और सबसे मज़ेदार बात — न कोई Free बिजली का वादा, न कोई मंदिर-मस्जिद का एजेंडा।
बस कहते हैं — “जन सुराज चाहिए, जनता की सरकार चाहिए।”
“PK का नया नारा – Data से डरना नहीं, Data से जीतना है!”
तीनों खेमों में हड़कंप: NDA, INDIA और कांग्रेस – सब परेशान
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NDA सोच रही है – “हमारे ही बंदे ने अब हमें ही टारगेट कर लिया?”
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INDIA गठबंधन में खलबली – “कहीं सवर्ण वोट इधर न खिसक जाए!”
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कांग्रेस – इसका तो खैर हमेशा की तरह कोई ठोस स्टैंड ही नहीं है।
क्या PK का ‘केजरीवाल मोमेंट’ आ चुका है?
बिहार में जिस तरह से PK अकेले जन-संपर्क और समाजिक आधार तैयार कर रहे हैं, उससे लग रहा है कि वे 2025 का बड़ा फैक्टर बन सकते हैं।
केजरीवाल की तरह शायद वे भी कहते नजर आएं:
“मैं आम आदमी नहीं, Data आदमी हूं!”
PK की राजनीति अब सिर्फ चुनावी प्रबंधन की कहानियों से बाहर निकल कर ज़मीनी क्रांति की ओर बढ़ रही है। क्या वे वाकई बिहार का चेहरा बदल पाएंगे, या ये सब सिर्फ एक बड़ी खबर तक ही सीमित रहेगा — ये 2025 बताएगा।
फिलहाल इतना तय है — बिहार की राजनीति में तूफ़ान का डेटा लोड हो चुका है।
Merchant Shipping Amendment Bill: भारत बनेगा समंदर का सिकंदर!