Modi Ji की ट्रेन वाली बारिश! बांसवाड़ा से वंदे भारत तक, सब कुछ ऑन ट्रैक

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजस्थान दौरा कुछ वैसा ही है जैसे रेलवे स्टेशन पर आने वाली ट्रेन — सीटी बजाई नहीं और भीड़ लग गई! इस बार भीड़ सिर्फ लोगों की नहीं, बल्कि घोषणाओं और सौगातों की है, और वो भी फुल स्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी!

राजस्थान को मिली वंदे भारत एक्सप्रेस की तिकड़ी

बीकानेर से दिल्ली, जोधपुर से दिल्ली कैंट, और चित्तौड़गढ़ से उदयपुर — अब ये रूट्स सिर्फ दूरी नहीं बल्कि सुविधा, स्पीड और स्टाइल से जुड़ने वाले हैं।

बीकानेर-Delhi वंदे भारत एक्सप्रेस

उत्तर-पश्चिम राजस्थान के लिए ये ट्रेन किसी लाइफलाइन से कम नहीं। अब बीकानेर वाले कह सकेंगे: “अब राजधानी जाना है? कोई बात नहीं, वंदे भारत है ना!”

जोधपुर-Delhi Cantt वंदे भारत एक्सप्रेस

मारवाड़ियों को अब दिल्ली जाने के लिए उड़न खटोले की ज़रूरत नहीं — वंदे भारत उनके लिए फुल रॉयल ट्रीटमेंट लेकर आई है।

चित्तौड़गढ़-उदयपुर नई एक्सप्रेस

दक्षिणी राजस्थान वालों के लिए ये ट्रेन उतनी ही राहत है जितनी गर्मी में पहली बारिश। अब चित्तौड़गढ़ से उदयपुर जाना यानि सीधा टूरिज़्म प्लान ऑन!

बांसवाड़ा से ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर

और ट्रेनें ही नहीं साहब, बांसवाड़ा से पीएम मोदी ने 2800 मेगावाट की परमाणु ऊर्जा परियोजना की नींव रख दी है। यानी अब बांसवाड़ा सिर्फ नक्शे पर नहीं, नेशनल पावर ग्रिड में भी चमकेगा!

बांसवाड़ा: ऊर्जा का नया हॉटस्पॉट

ये प्रोजेक्ट देश की दूसरी सबसे बड़ी न्यूक्लियर यूनिट होगी — और रावतभाटा के बाद सबसे बड़ा कदम। सरकार का संदेश साफ है:
“आदिवासी हो या अडानी, सबको बराबर ऊर्जा!”

वंदे भारत में सफर = सफर में सुविधाओं का तूफ़ान!

रेल मंत्रालय ने बताया है कि नई ट्रेनों में होंगे, वाई-फाई। GPS आधारित जानकारी। ऑटोमैटिक दरवाजे। एर्गोनॉमिक सीट्स और फुल सेफ्टी लोडेड सिस्टम — यानी सफर उतना ही स्मार्ट, जितना आपका स्मार्टफोन। अब डिब्बा नंबर 5 में बैठो या डिब्बा नंबर 1 में, experience वही — royal class वाला!

मोदी जी और ट्रेन

पीएम मोदी जहाँ जाते हैं, ट्रेनें साथ होती हैं। कभी किसी को तेजस थमा दी, कभी किसी को वंदे भारत की चाबी पकड़ा दी। इस बार भी मोदी जी ने साबित कर दिया कि “जहाँ रेल, वहाँ खेल!”

अब राजस्थान बोलेगा — वंदे भारत की जय हो!

राजस्थान अब सिर्फ ऊँट और रेगिस्तान नहीं, बल्कि ट्रेनों और न्यूक्लियर एनर्जी का भी नया हब बन रहा है। बांसवाड़ा से बुलेट और बिजली — सब कुछ आ गया है। अब देखना ये है कि चुनाव में ये ट्रैक वोटों तक भी पहुंचता है या नहीं!

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