
बिहार कांग्रेस द्वारा हाल ही में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया एक AI-जनरेटेड वीडियो विवादों में आ गया है। इस वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मां हीराबेन मोदी को दिखाया गया था। इसके खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने कड़ी आपत्ति जताई थी।
कोर्ट ने क्या कहा?
पटना हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच — जिसमें कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पीबी बजंतरी और जस्टिस आलोक कुमार सिन्हा शामिल थे — ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए वीडियो पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट के फैसलों – जैसे केएस पुट्टास्वामी केस (राइट टू प्राइवेसी), एनएएलएसए और सुब्रमण्यम स्वामी केस – में स्पष्ट किया गया है कि निजता और गरिमा का अधिकार मौलिक अधिकार हैं। ऐसे में इस वीडियो से इन अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।”
सोशल मीडिया को कड़ा निर्देश
कोर्ट ने Meta (Facebook/Instagram), YouTube India (Google), और X (Twitter) जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निर्देश दिया कि:
“अगर यह वीडियो अब भी प्रसारित हो रहा है तो उसे तुरंत रोका जाए और आगे के आदेश तक हटाया ही रखा जाए।”
कांग्रेस पर AI टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग का आरोप
कई कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह केस AI टेक्नोलॉजी के गलत इस्तेमाल से जुड़े मामलों में एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है। खासकर तब, जब किसी पब्लिक फिगर और उनके परिवार के निजी जीवन को डिजिटल माध्यमों से विकृत या मैनिपुलेट किया जाता है।
AI और निजता का टकराव
AI वीडियो और deepfake कंटेंट का चलन लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इससे जुड़ी नैतिकता और कानूनी सीमाएं अब एक बड़ा मुद्दा बनती जा रही हैं। यह केस बताता है कि अब समय आ गया है जब AI रेगुलेशन और डिजिटल एथिक्स पर सख्ती से काम किया जाए।
“तकनीक जिम्मेदारी के बिना, खतरे की घंटी!”
पटना हाई कोर्ट का यह फैसला न केवल पीएम मोदी और उनकी मां की निजता की सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि यह पूरे देश में AI टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लेकर एक चेतावनी भी है।
राजनीतिक दलों को अब यह समझना होगा कि डिजिटल प्रचार की होड़ में, गरिमा और कानून की सीमाओं को पार करना भारी पड़ सकता है।
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