
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि भारत अब “न्यूक्लियर ब्लैकमेल” की धमकियों से डरने वाला नहीं है। उन्होंने पाकिस्तान को “रोग नेशन” (rogue nation) करार देते हुए कहा कि ऐसे गैर-जिम्मेदार राष्ट्र के हाथों में परमाणु हथियार होना पूरी दुनिया के लिए खतरा है।
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परमाणु हथियारों पर IAEA की निगरानी की मांग
राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर स्थित बादामी बाग़ छावनी में कहा:
“पूरी दुनिया ने देखा है कि पाकिस्तान ने भारत को कितनी बार एटमी धमकियाँ दी हैं। आज मैं दुनिया से यह सवाल करता हूँ कि क्या ऐसे राष्ट्र के पास परमाणु हथियार सुरक्षित हैं? मैं मांग करता हूँ कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को IAEA की निगरानी में लिया जाए।”
आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की ‘जीरो टॉलरेंस नीति’
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकता है और न्यूक्लियर ब्लैकमेल जैसी रणनीति अब भारत को पीछे नहीं हटा सकती।
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान में सैन्य तनाव चरम पर रहा।
सैन्य संघर्ष और युद्धविराम
भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात सोमवार रात के बाद सैन्य संघर्ष में बदल गए थे, जो 10 मई को संघर्षविराम के बाद थमा। इस दौरान भारत की सैन्य स्थिति आक्रामक और निर्णायक रही।
IMF बेलआउट पर कड़ा तंज
पाकिस्तान को हाल ही में IMF से एक अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज मिला है। इस पर राजनाथ सिंह ने कहा:
“पाकिस्तान जहां खड़ा होता है, वहीं से मांगने वालों की लाइन शुरू होती है। वह देश IMF के दरवाज़े पर बार-बार कर्ज़ के लिए खड़ा होता है, जबकि भारत अब IMF को कर्ज देने वाले देशों में शामिल है।”
अंतरराष्ट्रीय चिंता बढ़ी
राजनाथ सिंह का यह बयान न केवल भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को मजबूती देता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी चेताता है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार वैश्विक शांति के लिए खतरा हैं।
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भारत अब आतंकवाद और न्यूक्लियर ब्लैकमेल के खिलाफ पूरी तरह तैयार
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पाकिस्तान की कर्ज़ पर निर्भरता और परमाणु हथियार रखने की स्थिति पर उठे सवाल
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर IAEA की निगरानी की माँग
रक्षा मंत्री का यह बयान भारत की कूटनीतिक दृढ़ता और आतंकी समर्थक देशों के खिलाफ वैश्विक जवाबदेही की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
सैयद हुसैन अफसर, एडिटोरियल एडवाइजर, Hello UP
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बयान, कि “भारत न्यूक्लियर ब्लैकमेल की परवाह नहीं करता”, दरअसल शब्दों से ज़्यादा एक रणनीतिक संकेत है — वह संकेत, जो भारत की बदलती आक्रामक सुरक्षा नीति और नए वैश्विक आत्मविश्वास को दर्शाता है।
पाकिस्तान की न्यूक्लियर धमकियों का ‘बाजार’ अब मंदा हो चला है
बीते दो दशकों से पाकिस्तान की परमाणु धमकियाँ भारत के लिए एक किस्म का कूटनीतिक अवरोध रही हैं — चाहे वो कारगिल हो, उड़ी या पुलवामा। लेकिन मौजूदा भारत, उस ‘डॉक्ट्रिन ऑफ रेस्ट्रेंट’ से आगे निकल चुका है। रक्षा मंत्री का यह वक्तव्य दरअसल उसी रणनीतिक बदलाव का सार्वजनिक एलान है।
अंतरराष्ट्रीय संदेश: IAEA निगरानी की मांग कोई मामूली बात नहीं
राजनाथ सिंह ने पहली बार खुलकर कहा कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निगरानी में होने चाहिए। यह टिप्पणी न केवल पाकिस्तान की न्यूक्लियर इमेज पर प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि यह भी जताती है कि भारत अब इस मुद्दे को यूएन और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाने को तैयार है।
IMF बेलआउट पर टिप्पणी: आर्थिक मोर्चे पर भी भारत का तंज
जब राजनाथ सिंह कहते हैं कि “जहां पाकिस्तान खड़ा होता है, वहीं से मांगने वालों की लाइन लग जाती है,” तो वह सिर्फ व्यंग्य नहीं है — यह एक कूटनीतिक उपहास है जो भारत की बढ़ती आर्थिक स्थिति और पाकिस्तान की गिरती हैसियत के बीच अंतर को दर्शाता है। भारत अब न केवल सैन्य बल्कि आर्थिक मामले में भी डोनर नेशन बन चुका है, और यह स्थिति विश्व मंच पर हमारे कद को और ऊँचा करती है।
भारत की नई सुरक्षा परिभाषा
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि भारत अब ‘रिएक्टिव’ नहीं बल्कि ‘प्रोएक्टिव’ रक्षा नीति की ओर बढ़ चुका है। पाकिस्तान के साथ हर मोर्चे पर मूकदर्शक बने रहने का दौर अब बीत चुका है — अब भारत की नीति है:
“चेतावनी नहीं, कार्रवाई पहले।”
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