
दुनिया जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर शक़ से भरी निगाह डाल रही है, वहीं पाकिस्तान ने ‘शांति’ की मोहर लगाई है।
प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने एलान किया है, “ईरान को परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग करने का पूरा अधिकार है – और पाकिस्तान इसमें उसके साथ खड़ा है।”
दूसरे शब्दों में कहें तो –“अगर परमाणु है, तो समस्या नहीं, बस मक़सद शांति हो।”
12 समझौते – दो देशों की दोस्ती में दर्जन भर वादे
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान पाकिस्तान की यात्रा पर हैं और दोनों देशों ने मिलकर 12 समझौतों और MoUs पर दस्तख़त किए हैं – जिनमें ये प्रमुख हैं:
-
व्यापार और कृषि सहयोग
-
विज्ञान और इनोवेशन
-
सूचना और संचार
-
समुद्री सुरक्षा
-
और कूटनीतिक ‘दूध-शहद के रिश्ते’ को गाढ़ा करने का इरादा
इतने समझौते तो कभी प्रेम-प्रस्तावों में भी नहीं होते!
इसराइल पर तंज – “स्थिरता के खिलाफ एजेंडा”
ईरानी राष्ट्रपति ने साफ कहा कि इसराइल क्षेत्र को अस्थिर करने के मिशन पर है। उन्होंने पाकिस्तान को शुक्रिया कहा – “इसराइली हमलों की निंदा और हमारे साथ खड़े होने के लिए।”
एक ने बम संभाला, दूसरे ने समर्थन। अब सवाल है – दुनिया इसे कैसे डिकोड करती है?
मुस्लिम एकता का पैग़ाम या सामरिक रणनीति?
दोनों नेताओं ने आतंकवाद विरोधी सोच, शांति और क्षेत्रीय विकास पर समान दृष्टिकोण जताया।
शहबाज़ शरीफ़ ने कहा, “मुस्लिम देशों को अब एकजुट होकर आगे बढ़ना चाहिए। बातों से नहीं, समझौतों से।”
और पेज़ेश्कियान बोले –“हमारे रिश्ते सिर्फ नारे नहीं, रणनीति हैं।”
परमाणु अगर ‘शांतिपूर्ण’ है, तो क्या विस्फोट भी शांत होंगे?
ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम सिर्फ ऊर्जा जरूरतों के लिए है। लेकिन विपक्षी देश (खासकर पश्चिमी) पूछते हैं – “ऊर्जा से ज्यादा उत्साह क्यों नज़र आता है?”
पाकिस्तान के समर्थन ने ईरान को एक कूटनीतिक कंधा दिया है – अब देखना है ये कंधा मिसाइल उठाता है या मेज़बानी?
-
पाकिस्तान ने खुलकर ईरान के परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को समर्थन दिया है।
-
दोनों देशों के बीच 12 रणनीतिक समझौते हुए हैं।
-
इसराइल पर तीखे बयान और मुस्लिम देशों को एकजुट होने की अपील की गई है।
-
परमाणु चर्चा फिर सुर्खियों में, लेकिन इस बार ‘शांति’ के टैगलाइन के साथ।
यमन में समंदर बना कब्रगाह – 150 प्रवासी सवार, 50 से ज़्यादा की मौत