
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। मंगलवार शाम को पाकिस्तान के कुर्रम ज़िले में अचानक गोलीबारी की आवाज़ों ने पूरे इलाके को हिला दिया। पाकिस्तानी सूत्रों के मुताबिक, अफगान तालिबान और टीटीपी (तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) ने सीमा पार से बिना किसी उकसावे के फायरिंग शुरू कर दी, जिसके जवाब में पाकिस्तान आर्मी ने कड़ी कार्रवाई की।
जवाबी कार्रवाई में भारी नुकसान, तालिबान पोस्ट तबाह
पीटीवी और ISPR के अनुसार, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में स्थित तालिबानी चौकियों को निशाना बनाकर जवाबी फायरिंग की। बताया जा रहा है कि इन हमलों में तालिबान की कई चौकियों को गंभीर नुकसान पहुंचा है और अफगान सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर को भी टारगेट किया गया।
आम लोगों में डर का माहौल, घर छोड़ने को मजबूर
खोस्त के गवर्नर मुस्तगफर गुरबाज़ और अफगान सूचना विभाग के प्रमुख अली मोहम्मद ने ‘टोलो न्यूज’ को बताया कि पाकिस्तान की ओर से की गई फायरिंग में लाइट और हैवी वेपन्स का इस्तेमाल हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई घरों को नुकसान पहुंचा है और स्थानीय लोगों को इलाके से बाहर निकाला गया है।
यह पहली झड़प नहीं, शुक्रवार को भी हुई थी भारी फायरिंग
यह घटना कोई नई नहीं है। शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात को भी इसी तरह की सशस्त्र झड़पें हो चुकी हैं। पाकिस्तानी ISPR का दावा है कि इन ऑपरेशनों में 200 से ज्यादा तालिबानी लड़ाके मारे गए और कई चौकियों पर पाकिस्तान का कब्ज़ा हो गया है।

वहीं, तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद का कहना है कि 58 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और दर्जनों घायल हुए हैं। इस बात की आधिकारिक पुष्टि दोनों देशों की ओर से नहीं की गई है।
क्यों बार-बार हो रही हैं झड़पें?
- TTP की बढ़ती गतिविधियां – पाकिस्तान के अनुसार, तालिबान TTP को समर्थन दे रहा है।
- सरहद की अस्पष्टता – डुरंड लाइन को लेकर दोनों देशों में असहमति है।
- कूटनीतिक संवाद की कमी – तालिबान सरकार को अंतरराष्ट्रीय मान्यता न मिलने से बातचीत ठप पड़ी है।
शांति की जरूरत पहले से ज्यादा
इन झड़पों में दोनों ओर नुकसान हुआ है—सैनिकों का, नागरिकों का और भरोसे का भी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि पाक-अफगान बॉर्डर पर एक स्थायी समाधान के लिए कूटनीतिक प्रयासों को तेज करे।
“डील हुई डन! हमास ने छोड़े बंधक, इसराइल देगा आज़ादी के बदले आज़ादी!”