
कोविड महामारी ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया, लेकिन देश के करोड़ों सरकारी कर्मचारी उस दौर में भी काम पर डटे रहे – फ़ाइलें घसीटी गईं, रिपोर्टें बनीं, और मीटिंग्स वर्चुअली झेली गईं। लेकिन मार्च 2020 से जून 2021 तक का DA (महंगाई भत्ता) और DR (महंगाई राहत) अब तक अधर में लटका हुआ है।
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सरकारी कर्मचारियों ने कहा है – “अब तो कोविड की वैक्सीन भी एक्सपायर हो गई, लेकिन हमारा एरियर अब भी पेंडिंग है!”
नेशनल काउंसिल की 63वीं बैठक: जले पर नमक या समाधान?
केंद्रीय सरकार के साथ हुई इस बैठक में शिवगोपाल मिश्रा और एम. राघवैया जैसे वरिष्ठ कर्मचारी नेताओं ने 18 महीने के DA/DR एरियर की बहाली की मांग दोहराई। कर्मचारी पक्ष का तर्क सीधा था – “जब हमने लॉकडाउन में भी काम किया, तो अब सरकार को ‘लॉक्ड पेमेंट’ खोल देना चाहिए।”
सरकार का जवाब – “हम भी तंगहाल हैं!”
वित्त मंत्रालय ने वही पुराना पन्ना पलट दिया – “कोविड के समय आर्थिक बोझ बहुत ज़्यादा था, इसलिए अब भी भुगतान संभव नहीं है।”
इस पर कर्मचारी नेताओं का हल्का कटाक्ष – “सर जी, जब आप नई संसद और बुलेट ट्रेन पर खर्च कर सकते हैं, तो हमारी जेब में भी थोड़ा ईंधन डाल दीजिए।”
8वां वेतन आयोग: 2026 में आएगा या ‘घोषणावली’ में ही रह जाएगा?
बैठक में 8वें वेतन आयोग पर भी चर्चा हुई। कर्मचारी संगठनों ने कहा – “अगर आयोग की सिफारिशें देरी से लागू हुईं, तो उसे एरियर सहित लागू किया जाए।”
सरकार की तरफ से कहा गया – “प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, कुछ अधिसूचनाएं जारी हो चुकी हैं।” यानी बात वही “प्रगति पर है” वाली फाइल फिर से घूमती हुई।
कर्मचारी बीमा योजना: सिर्फ नाम से ‘कवच’?
CGEGIS (Central Government Employee Group Insurance Scheme) पर वित्त मंत्रालय ने कहा कि “नई स्कीम ड्राफ्ट हो गई है” और जल्दी ही साझा की जाएगी।
कर्मचारी बोले – “कोरोना में हमने सुरक्षा किट पहनी थी, अब ज़रा भविष्य की सुरक्षा पर भी कुछ कीजिए।”
सटायर में गंभीरता छुपी है:
सरकार और कर्मचारी के बीच यह Tug-of-War कोई नई बात नहीं है, लेकिन DA/DR का यह 18 महीने का मामला अब भावनाओं से जुड़ गया है।
एक कर्मचारी ने कहा, “हम काम के वक्त सैनिक हैं, और वेतन के वक्त संन्यासी बना दिए जाते हैं!”
सरकार को चाहिए कि वह इस मांग पर पुनर्विचार करे।
कोविड गया, लेकिन उसके निशान और असर आज भी कायम हैं – और वही असर सरकारी कर्मचारियों की जेबों में अब तक महसूस हो रहा है।