बर्थ राइट सिटिज़नशिप पर ट्रंप का वार! कोर्ट नहीं रोक पाएंगे आदेश?

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है जो ना सिर्फ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पुराने आदेश को आंशिक रूप से लागू करेगा, बल्कि निचली अदालतों के पर भी कतर देगा। यानी अब जज साहब राष्ट्रपति के एक्ज़ीक्यूटिव ऑर्डर को कह नहीं पाएंगे – “ओवररूल्ड!”

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किस आदेश की हो रही है वापसी?

ये मामला उस आदेश से जुड़ा है जिसमें ट्रंप ने कहा था – जन्म लेकर अमेरिका की नागरिकता नहीं मिलनी चाहिए, अगर माता-पिता दस्तावेज़विहीन अप्रवासी हों।

यानी अब अस्पताल में पैदा होते ही अमेरिकी बन जाने का “ऑटोमैटिक ऑफर” खतरे में है।

अब जज लोग Stay Order के लिए कहां जाएं?

पहले निचली अदालतें ट्रंप के हर विवादित आदेश को रोक देती थीं – एक्ज़ीक्यूटिव ऑर्डर की हालत UPSC के निबंध जैसे होती थी: “लिखे तो गए हैं, लागू नहीं होंगे!”

अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि – हर जगह से ट्रंप को रोकना अब आसान नहीं रहेगा।

क्या अब बदल जाएगी नागरिकता की परिभाषा?

फैसले के मुताबिक, ट्रंप का आदेश आंशिक रूप से 30 दिनों में लागू होगा। बच्चों को “बर्थ राइट सिटिज़नशिप” देने का जो सिस्टम था, उसमें बड़ा बदलाव आ सकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि ये अप्रवासी परिवारों पर सीधा असर डालेगा – खासकर उनके बच्चों पर जो अमेरिका में पैदा हुए लेकिन अब शायद अमेरिकी नहीं रहेंगे।

क्या ये ट्रंप के चुनावी एजेंडे की री-एंट्री है?

ट्रंप ने जब राष्ट्रपति बने थे, तब ही उन्होंने बर्थ राइट को खत्म करने की बात की थी। अब जब चुनाव फिर सामने हैं, तो ये मुद्दा “Make America Great Again” से भी तेज़ी से गूंज रहा है। और सुप्रीम कोर्ट का कंजरवेटिव बहुमत (जिसमें तीन जज खुद ट्रंप की नियुक्ति से हैं), इस मिशन को रॉकेट की रफ्तार दे रहा है।

दुनिया देख रही है, अमेरिका फिर उलझ रहा है

जहां बाकी लोकतंत्रों में कोर्ट “Check & Balance” का काम करते हैं, अमेरिका में अब सवाल ये है — राष्ट्रपति का आदेश ज्यादा बड़ा है या संविधान?

फिलहाल, जवाब मिलना मुश्किल है, लेकिन ट्रंप के फैन्स कह रहे हैं, अब अमेरिका फिर से महान बनेगा — लेकिन सिर्फ ‘डॉक्युमेंटेड’ लोगों के लिए!

Welcome to America 2.0

बर्थ सर्टिफिकेट? ये लो, पर नागरिकता की गारंटी नहीं! ऐसा ही कुछ सन्देश अब अमेरिका से मिल रहा है। जो कभी पूरी दुनिया को “लिबर्टी और फ्रीडम” का प्रतीक लगता था, वह अब कह रहा है — दस्तावेज़ दिखाओ, वरना कोई अधिकार नहीं!

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