
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में “ऑनलाइन गेमिंग बिल” को मंजूरी दे दी गई है। अब देशभर में सट्टेबाजी या जुए से जुड़ी ऑनलाइन गेम्स को दंडनीय अपराध माना जाएगा।
बिल को अब लोकसभा में पेश किया जाएगा, जहां इसे पास कराने की पूरी तैयारी है।
Game नहीं अब Gamble – अब सट्टा खेलोगे तो सज़ा पाओगे!
इस बिल का मुख्य मकसद है:
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Money gaming (जैसे सट्टेबाज़ी, जुआ) को पूरी तरह बैन करना
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यूज़र्स की फाइनेंशियल सिक्योरिटी सुनिश्चित करना
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टैक्स चोरी को रोकना और
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गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करना
बिल के अनुसार, अब गेमिंग कंपनियों को Self-Regulatory Organisations (SROs) के अंतर्गत operate करना होगा।
KYC, Age Limit और App कंट्रोल – अब गेमिंग नहीं होगी बेलगाम
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18 साल से कम उम्र के बच्चों को ऐप एक्सेस नहीं मिलेगा
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सभी गेमिंग यूज़र्स के लिए KYC वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा
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प्लेटफॉर्म्स पर डेटा सुरक्षा और ट्रांजैक्शन की निगरानी भी सख्त होगी
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गेमिंग इंडस्ट्री को 28% से 40% GST दायरे में लाया जाएगा
“पैसे लगाओ – सब कुछ गंवाओ” का दौर होगा खत्म
सरकार का दावा है कि इससे वो गेम्स बंद होंगे जो पैसे लगाकर जीतने का लालच देते हैं। हाल के महीनों में कई केस सामने आए जहां गेमिंग की लत के कारण:

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लोगों ने सुसाइड तक कर लिया
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मालिकों ने टैक्स चोरी की
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और सेलिब्रिटीज़ पर कार्रवाई करनी पड़ी जो इन ऐप्स का प्रमोशन कर रहे थे
देश में अभी तक नहीं था ऑनलाइन गेमिंग का कोई सेंट्रल लॉ
हालांकि कुछ राज्यों जैसे तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और असम ने अपने-अपने कानून बनाए हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर कोई स्पष्ट नियम नहीं था।
अब यह बिल पूरे भारत में एक कानून की दिशा में बड़ा कदम है।
“बच्चों की नींद और पढ़ाई गई ऑनलाइन गेमिंग में” – पैरेंट्स को मिलेगी राहत?
बिल खासतौर पर युवाओं और बच्चों को गेमिंग की लत से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
KYC और ऐप कंट्रोल से उम्मीद की जा रही है कि:
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बच्चे गेमिंग में घंटों नहीं फंसेंगे
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नींद, पढ़ाई और रिश्तों पर असर कम होगा
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वित्तीय नुकसान और धोखाधड़ी पर भी ब्रेक लगेगा
“खेलो इंडिया” या “फंसो गेमिंग में”? अब सरकार ने लिया स्टैंड!
अब तक गेमिंग ऐप्स पर कोई कंट्रोल नहीं था, लेकिन इस बिल के आते ही प्लेटफॉर्म्स को अब Accountable बनना होगा। सरकार के इस फैसले से यूथ की सुरक्षा, डिजिटल हेल्थ और इकोनॉमिक ट्रांसपेरेंसी तीनों को मज़बूती मिलेगी।
क्या आप भी ऑनलाइन गेम्स में पैसे गंवा चुके हैं या किसी को जानते हैं जिसे इसकी लत है?
अब समय है बदलाव का — और इस बिल को सिर्फ कानून नहीं बल्कि डिजिटल जागरूकता का आंदोलन माना जा सकता है।
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