
7 जून, शनिवार को भारत और ब्रिटेन के बीच एक अहम बैठक हुई जिसमें भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी आमने-सामने हुए। इस बैठक में कई मुद्दों पर बातचीत हुई लेकिन आतंकवाद पर भारत की नीति सबसे अहम विषय रही।
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जयशंकर ने साफ तौर पर कहा कि भारत आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाता है और वह चाहता है कि उसके सभी अंतरराष्ट्रीय साझेदार भी इस नीति को गंभीरता से लें और इसमें सहयोग करें।
हमले का ज़िक्र, ब्रिटेन का धन्यवाद
जयशंकर ने अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का संदर्भ देते हुए कहा कि ऐसे हमले भारत की संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा पर सीधा प्रहार हैं। उन्होंने इस हमले की निंदा करने के लिए ब्रिटेन को धन्यवाद देते हुए यह भी कहा कि सिर्फ सहानुभूति नहीं, अब ठोस और व्यावहारिक समर्थन की ज़रूरत है।
द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती की बात
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने भी इस अवसर पर भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन आतंकवाद के किसी भी स्वरूप का समर्थन नहीं करता और वह भारत के साथ मिलकर वैश्विक शांति एवं स्थिरता के लिए काम करता रहेगा।
वैश्विक संदेश: नीति नहीं, राष्ट्रीय हित
जयशंकर का यह बयान न सिर्फ ब्रिटेन के लिए था, बल्कि यह एक वैश्विक संदेश भी था कि अब भारत आतंकवाद पर कूटनीतिक चुप्पी या नरमी के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा, “यह केवल हमारी विदेश नीति का हिस्सा नहीं, बल्कि यह हमारे देश के हित और नागरिकों की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है।”
सख्ती की ओर भारत की विदेश नीति
भारत ने एक बार फिर दुनिया को बता दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं करेगा। जयशंकर का यह बयान बताता है कि भारत की विदेश नीति अब पहले से अधिक स्पष्ट, सख्त और राष्ट्रीय हितों पर आधारित हो चुकी है।
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