PM मोदी के कार्यक्रम में नीतीश कुमार की 38 सेकंड वाली मौन साधना

Ajay Gupta
Ajay Gupta

शनिवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं के लिए ₹62,000 करोड़ की योजनाओं का अनावरण किया, तब सभी की निगाहें मंच पर मौजूद नेताओं की ओर थीं।
लेकिन अचानक कैमरा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ठहरा- कैमरे में दिखा कि मुख्यमंत्री जी पूरे 38 सेकंड तक हाथ जोड़े बैठे रहे, बिल्कुल वैसे जैसे कोई आरती में ‘शांतिपाठ’ कर रहा हो।
और बगल में बैठे डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी बिना ध्यान भंग किए फाइलें पलटते रहे।

बिना बोले ही बोले: क्या था नीतीश जी का संदेश?

राजनीति के जानकार अब इस “मौन मुद्रा” को लेकर गंभीर विश्लेषण में जुटे हैं:

  • क्या यह साइलेंट प्रोटेस्ट था?

  • क्या उन्होंने डिजिटल ध्यान (Online Meditation) की कोई नई विधा खोज ली है?

  • या फिर ये “बैठक में बैठने की मजबूरी” को दर्शाने वाली शरीर की भाषा थी?

जिस तरह बाबा रामदेव योग सिखाते हैं, उसी तरह नीतीश कुमार शायद “राजनीतिक योगासन – संस्करण मौन मुद्रा” का ट्रायल कर रहे हों!

विपक्ष ने फिर उठाया सवाल: “नीतीश जी, सब कुशल तो है?”

विपक्ष को तो जैसे मौका मिल गया।
स्वास्थ्य, राज्य चलाने की क्षमता, और अचानक हाव-भाव पर पहले से ही हमलावर रही पार्टियों ने अब इस वीडियो को हथियार बना लिया है।

बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे नीतीश कुमार की हर सार्वजनिक उपस्थिति एक चुनावी मुद्दा बनती जा रही है — कभी बयान से, कभी बिना बयान के!

PM मोदी का बिहार मॉडल और राहुल गांधी पर तीखा हमला

जहां एक तरफ नीतीश जी मौन की ताकत दिखा रहे थे, वहीं प्रधानमंत्री मोदी फुल वॉल्यूम पर:

“दो ढाई दशक पहले बिहार में स्कूल नहीं खुलते थे, पढ़ाई नहीं होती थी।”

मोदी ने साफ कहा कि बिहार से युवाओं का पलायन तब शुरू हुआ, जब शिक्षा व्यवस्था ढह चुकी थी। आज NDA सरकार ने इन व्यवस्थाओं को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश की है।

राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए बोले:

“‘जन नायक’ का तमगा कोई चुरा न ले! यह कर्पूरी ठाकुर जी के लिए ही उपयुक्त है।”

लगता है, अब “जन नायक” भी कॉपीराइट करा लेना पड़ेगा!

 

चुनावी रण के पहले साइलेंस से बड़ा संदेश?

राजनीति में जहां हर बात माइक पर बोलनी पड़ती है, वहां मौन रहना शायद नई रणनीति है। या शायद वाकई कुछ कहना चाह रहे थे, लेकिन… “नेटवर्क कनेक्शन स्टेबल नहीं था?”

बहरहाल, बिहार की राजनीति में यह 38 सेकंड अब एक मिस्ट्री मोमेंट बन चुका है — और विपक्षी दलों के लिए फ्री की टीआरपी

“नेपाल जैसे विरोध से निपटने को तैयार दिल्ली, रहेगी कड़ी नजर!”

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