नजरें आकाश में, डेटा धरती पर — आया 13000 करोड़ का निसार

हुसैन अफसर
हुसैन अफसर

“अब सिर्फ भगवान नहीं, सैटेलाइट भी सब देख रहा है!” 30 जुलाई 2025 को शाम 5:40 बजे, श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ NISAR मिशन न सिर्फ भारत-अमेरिका की टेक्नोलॉजिकल दोस्ती का प्रतीक है, बल्कि अब यह धरती की रियल टाइम MRI मशीन भी बन गया है।
18 मिनट में रॉकेट ने 743 किमी ऊपर पहुंचकर सैटेलाइट को ऑर्बिट में फिट कर दिया — बिना ‘बफरिंग’ के।

13000 करोड़ रुपये का ‘वंदे मातरम्’ मोमेंट

जी हां, यह है दुनिया का सबसे महंगा अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट, जिसकी कुल लागत करीब 1.5 बिलियन डॉलर यानी ₹13,000 करोड़ बैठी है।
ISRO ने इसमें 788 करोड़ खर्च किए, जिसमें S-बैंड रडार, सैटेलाइट बस, GSLV-F16 लॉन्च व्हीकल शामिल हैं।
NASA ने L-बैंड रडार, GPS, हाई-रेट डेटा ट्रांसफर और रिकॉर्डिंग सिस्टम दिया। टीमवर्क कहते हैं इसे!

डबल रडार वाला सैटेलाइट, डबल नजर रखेगा

निसार दुनिया का पहला एल-बैंड + एस-बैंड डुअल रडार अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है।

  • NASA का L-बैंड जंगल, बर्फ और मिट्टी के नीचे की गहराइयों तक झांकेगा।

  • ISRO का S-बैंड धरती की सतह, फसल, धंसान, और दरारों को स्कैन करेगा।
    12 मीटर का घूमता एंटीना 240 किमी की इमेजिंग करेगा — हां, इतना हाई-रिजॉल्यूशन कि इंस्टाग्राम फिल्टर भी शर्मिंदा हो जाए।

मिशन का मिशन — हर इंच पर नजर, हर आपदा पर अलर्ट

NISAR मिशन अगले 3 साल तक पृथ्वी के बदलावों पर नजर रखेगा। इसमें शामिल हैं:

  • जलवायु परिवर्तन और कार्बन चक्र की निगरानी

  • बर्फ पिघलने, समुद्र स्तर बढ़ने, और वनस्पति बायोमास की स्टडी

  • मिट्टी में नमी, फसल की वृद्धि और भूजल की जानकारी

  • तेल रिसाव, शहरीकरण और वनों की कटाई का ऑडिट

कह सकते हैं कि यह सैटेलाइट भूगोल की किताब नहीं, उसका लाइव अपडेट है।

आपदा प्रबंधन के लिए पर्सनल वेदर गॉड!

भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी, भूस्खलन — अब इनकी ‘Surprise Test’ नहीं होगी।
NISAR पहले से डाटा भेजेगा, ताकि तैयारियों में टाइम मिले।

“NISAR बोले तो — नेचुरल इंफो सटीक अलर्ट रडार।”

ओपन डाटा नीति — रिसर्चर्स, तैयार हो जाओ

जो डाटा यह सैटेलाइट भेजेगा, वह दुनिया भर के वैज्ञानिकों को फ्री में मिलेगा
और हां, आपातकाल में डाटा कुछ घंटों में भी मिलेगा, वरना हर 48 घंटे में पब्लिक डोमेन में आ जाएगा। NISAR का डाटा होगा वो व्हाट्सएप फॉर साइंस, जो सबका, साथ सबके लिए है।

जितेंद्र सिंह बोले — ये मोदी जी के ‘विश्व बंधु भारत’ का विस्तार है

मंत्री महोदय ने इसे भारत की “ग्लोबल स्पेस डिप्लोमेसी” का सशक्त उदाहरण बताया। NASA जैसी संस्था से कंधे से कंधा मिलाकर काम करना भारत की टेक्नोलॉजी डिप्लोमेसी को नई ऊंचाइयों पर ले गया है।

भारत अब सिर्फ ‘स्पेसपावर’ नहीं, स्पेस-संस्कृति का ब्रांड एंबेसडर बन रहा है।

‘निसार’ के आने से अब धरती पर कोई रहस्य नहीं बचेगा

ISRO और NASA के इस मिशन ने दिखा दिया कि जब दो टेक्नोलॉजिकल महाशक्तियां साथ आती हैं, तो अंतरिक्ष भी छोटा लगने लगता है
अब भूगोल पढ़ना बोरिंग नहीं, बल्कि रियल टाइम एक्सपीरियंस बन जाएगा।

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