
निमिषा प्रिया, एक भारतीय नागरिक जिन पर यमन में हत्या का आरोप है और जिन्हें मौत की सज़ा सुनाई जा चुकी है, उनके मामले की सुनवाई शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई।
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AG ने मांगा तीन हफ्ते का टाइम, कोर्ट ने कहा — टाइम लिया, अब एक्शन भी हो
सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल (AG) ने जस्टिस विक्रम नाथ की अदालत में कहा- “हमारे पास अब भी बातचीत का वक्त है। कृपया हमें तीन हफ्ते दीजिए।”
इस पर कोर्ट ने कहा — ठीक है, लेकिन सिर्फ तारीख़ पर तारीख़ से यमन की जेलें खाली नहीं होतीं।
यमन रवाना होंगे भारतीय डेलिगेशन? धर्मगुरु भी शामिल!
निमिषा की तरफ से पेश वकील सुभाष चंद्रन केआर बोले- “हमने याचिका दी है कि भारत सरकार एक प्रतिनिधिमंडल यमन भेजे, जिसमें संगठन, प्रतिनिधि और धर्मगुरु एपी अबूबकर मुसलियार हों।”
अब ये कोई कूटनीतिक मिशन नहीं, बल्कि “ब्लड मनी मिशन” है। कहने को डेलिगेशन, पर असल में “दिल जीतने की डीलिगेशन”।

ब्लड मनी: इंसाफ का चेक या माफी की मोहर?
ब्लड मनी, एक ऐसी व्यवस्था है जहां मृतक के परिवार को मुआवज़ा देकर सज़ा को माफ़ किया जा सकता है। इस्लामी देशों में ये क़ानून का हिस्सा है — और अब भारत की उम्मीद का भी।
एपी अबूबकर मुसलियार इस बातचीत की अगुवाई कर रहे हैं। सवाल ये है कि क्या पैसा इंसाफ से बड़ा होगा या माफ़ी इंसाफ बन जाएगी?
न्याय का नया फॉर्मूला: कोर्ट + कूटनीति + कटोरा
अब सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता के अनुरोध पर गंभीरता से विचार किया जाए। मतलब डेलिगेशन की टिकट बुकिंग भारत सरकार के जवाब पर टिकी है।
